Prayagraj महाकुंभ की बैठक में संतों के बीच मारपीट, आयोजन को लेकर बढ़ा तनाव

मेला प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक बैठक में संत समाज के बीच जमकर विवाद हो गया. विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि बैठक में शामिल संत महात्माओं के बीच हाथापाई तक की नौबत आ गई

Aanchal Singh
By Aanchal Singh
Prayagraj

Prayagraj: प्रयागराज महाकुंभ 2025 (Prayagraj Mahakumbh 2025) की तैयारियों के बीच मेला प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक बैठक में संत समाज के बीच जमकर विवाद हो गया. विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि बैठक में शामिल संत महात्माओं के बीच हाथापाई तक की नौबत आ गई, जिसमें थप्पड़, लात और घूंसे तक चले. इस हंगामे के कारण बैठक को स्थगित करना पड़ा. गौरतलब है कि अखाड़ा परिषद इन दिनों दो गुटों में बंटा हुआ है, जिसके कारण अक्सर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

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दो गुटों के बीच तनाव से माहौल गरम

दऱअसस, प्रयागराज मेला प्राधिकरण (Prayagraj Mela Authority) के कार्यालय में आयोजित इस बैठक में अखाड़ा परिषद के दोनों गुटों को आमंत्रित किया गया था. पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की मौत के बाद से ही परिषद में गुटबाजी बढ़ गई है, जिसके परिणामस्वरूप परिषद के सदस्य दो गुटों में विभाजित हो गए हैं। जैसे ही बैठक शुरू होने की तैयारी हो रही थी, संतों के बीच आपसी मतभेद इतना बढ़ गया कि यह बहस मारपीट में तब्दील हो गई। इस दौरान कुछ संतों को हल्की चोटें भी आईं।

विवाद की मुख्य वजह ?

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी (Ravindra Puri) ने इस घटना को लेकर जानकारी दी कि महाकुंभ 2025 के लिए जमीन आवंटन को लेकर विवाद हुआ है. दोनों गुटों के संत जमीन आवंटन को लेकर आपस में भिड़ गए, जिससे बैठक में हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई. संत समाज के कुछ सदस्यों ने आवंटन को लेकर अपनी असहमति और नाराजगी जताई, जिसके कारण तनाव बढ़ गया और बहस मारपीट तक पहुंच गई.

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महाकुंभ 2025 की तैयारियां

महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) का आयोजन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में शामिल है. सरकार इस आयोजन को ऐतिहासिक और भव्य बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. अनुमान है कि इस महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज आएंगे, जो कि पिछले कुंभ मेले की तुलना में डेढ़ से दो गुना ज्यादा है. श्रद्धालुओं के मुख्य स्थल त्रिवेणी संगम को जोड़ने वाली सड़कों के निर्माण कार्य को तेजी से पूरा किया जा रहा है, ताकि यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें.

आयोजन में संतों की एकता का महत्व

महाकुंभ (Mahakumbh) जैसे विशाल आयोजन में संत समाज की एकता और सहयोग अहम भूमिका निभाते हैं. संत समाज का महाकुंभ आयोजन में नेतृत्वकारी भूमिका होती है, और उनकी एकजुटता इस आयोजन की सफलता के लिए आवश्यक है। लेकिन अखाड़ा परिषद में चल रहे इस तरह के आपसी मतभेद और मारपीट की घटनाओं से महाकुंभ की तैयारियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. सरकार के लिए यह जरूरी हो गया है कि संत समाज में चल रहे विवादों को जल्द से जल्द सुलझाया जाए, ताकि महाकुंभ का आयोजन शांतिपूर्वक और सुचारु रूप से हो सके.

संतों के बीच विवाद चिंता का विषय

महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) की तैयारियों के मद्देनजर प्रयागराज में हो रही इस बैठक में संतों के बीच विवाद चिंता का विषय है. संत समाज के बीच आपसी मतभेदों का समाधान समय रहते न किया गया तो यह महाकुंभ की सफलतापूर्वक आयोजन में बाधा उत्पन्न कर सकता है. सरकार और मेला प्राधिकरण को संत समाज के बीच एकता बनाए रखने के प्रयास करने होंगे ताकि महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने का सपना साकार हो सके.

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