बीमा एजेंटों से परेशान रिटायर अफसर ने फांसी लगा कर दी थी जान

Mona Jha
By Mona Jha

लखनऊ संवाददाता : MOHD KALEEM

लखनऊ: कृषि विभाग के रिटायर उप निदेशक राम प्रताप ने बीमा एजेंटों के कारण फांसी लगा कर जान दी थी। राम प्रताप की पत्नी उषा ने यह आरोप लगाते हुए पीजीआई कोतवाली में राघवेंद्र और बीमा एजेंट धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। आरोपियों ने एक मकान का सौदा कृषि अधिकारी से करते हुए 52 लाख रुपये लिए थे। इसके बाद जमीन की रजिस्ट्री नहीं की और रुपये लौटाने से मना कर दिया। जब रुपये वापस नहीं हुए तो घटना के 10 महीने बाद पत्नी ने मुकदमा दर्ज कराया। वहीं मुकदमा दर्ज कर पुलिस जांच कर रही है।

रुपयों को निवेश करने की सलाह दी

आशियाना एलडीए कॉलोनी निवासी ऊषा प्रताप के मुताबिक वर्ष 2019 में पति राम प्रताप कृषि उप निदेशक के पद से रिटायर हुए थे। सेवाकाल में रहते हुए उन्होंने तान्या इंटरप्राईजज के संचालक राघवेंद्र सिंह और बीमा एजेंट धर्मेंद्र सिंह के जरिए तीन पॉलिसी ली थी। दोनों का घर आना जाना था। राघवेंद्र और धर्मेंद्र ने ग्रैच्युटी से मिले रुपयों को निवेश करने की सलाह दी। पूछने पर पीजीआई के मीरा पार्कपुरम में एक मकान दिखाया। करीब 1500 वर्ग फीट में बने मकान की कीमत 70 लाख रुपये बताई गई।

18 लाख रुपये रजिस्ट्री के वक्त देने की बात तय

पूर्व परिचितों के कहने पर राम प्रताप भी मकान लेने को राजी हो गए। उन्होंने राघवेंद्र और धर्मेंद्र के कहने पर 52 लाख रुपये बताए गए खातों में जमा कर दिए। वहीं, 18 लाख रुपये रजिस्ट्री के वक्त देने की बात तय हुई। ऊषा के अनुसार रुपये मिलने के बाद राघवेंद्र और धर्मेंद्र का रवैया बदल गया। वह लोग रजिस्ट्री करने में टाल मटोल करने लगे।

ऊषा के अनुसार लाखों रुपये फंसने से राम प्रताप काफी परेशान रहने लगे। इस बीच बेटी का रिश्ता भी तय हो गया। अगस्त 2022 में काफी प्रयास के बाद राम प्रताप की आरोपियों से मुलाकात हुई। रुपये वापस मांगते हुए राम प्रताप ने कहा कि बेटी की शादी तय है। मुझे रुपये वापस कर दो।

ऊषा के मुताबिक पति के साथ वह भी राघवेंद्र और धर्मेंद्र से मिन्नत करने लगी। लेकिन आरोपी रुपये वापस करने को तैयार नहीं हुए। राघवेंद्र और धर्मेंद्र के रवैये से राम प्रताप को गहरा आघात लगा और 13 दिसंबर 2022 को उन्होंने घर में रस्सी का फंदा बना कर फांसी लगा ली।

पीजीआई कोतवाली पहुंच कर तहरीर दी

राम प्रताप के खुदकुशी करने की जानकारी होने पर राघवेंद्र और धर्मेंद्र ने ऊषा से सम्पर्क किया। वह लोग रुपये लौटाने का दावा करते हुए पुलिस में शिकायत नहीं करने की बात कहने लगे। मुसीबत में फंसी ऊषा ने आरोपियों पर विश्वास कर लिया। करीब दस महीने तक दोनों लोग बहाने बनाते रहे। जिससे उब कर पीडि़ता ने पीजीआई कोतवाली पहुंच कर तहरीर दी। इंस्पेक्टर राणा राजेश सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।

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