Eye flu : अभी कुछ समय बीता है जब एक आपदा रूपी बीमारी को लड़ते हुए हराकर खड़े हुए थे, तभी एक और आपदा चुनौती स्वरूप हमारे देश में आकर खड़ी हो गयी है । कोविड के दौर हमारे लिए भले ही थोड़ा मुश्किल रहा हो लेकिन हम सभी देश वासियों ने साथ खड़े होकर इस महामारी को हराने का काम किया है ।
इसके साथ ही मानसून की शुरूआत के साथ ही एक भयंकर बीमारी ने दस्तक दी है। यूं तो मानसून के समय में कई सारी बीमारियों का आना आम बात होती है । इसके साथ ही आंख आना यानी आई फ्लू होना यूं तो आम बात है, लेकिन इस बार आई फ्लू एक भयंकर महामारी का रूप लेकर आयी है। देश भर से बड़ी संख्या में आई फ्लू के मामले सामने आ रहे है । ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि, ये मात्र एक बीमारी है या महामारी ?
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आई फ्लू के प्रकार
आई फ्लू काफी खतरनाक बीमारी है , इसकी एक वजह ये भी है कि, यह बीमारी एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलती है । इसके अलावा आई फ्लू एक ही प्रकार की बीमारी नहीं होती है । आई फ्लू के कई प्रकार होते है , तो आइए जानते है आई फ्लू के कितने प्रकार होते है ।
वायरल कंजक्टिवाइटिस
वायरल कंजक्टिवाइटिस सबसे आम प्रकार है और एक वायरस के कारण होता है. यह वायरस संक्रामक होता है और किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने या वायरस से दूषित सतहों को छूने से फैल सकता है. इसके लक्षणों में आंखों का लाल होना, पानी निकलना, खुजली शामिल हैं. वायरल कंजक्टिवाइटिस के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है और यह आमतौर पर 1 से 3 हफ्ते के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है. हालांकि डॉक्टर्स इसके लिए आई ड्रॉप्स सजेस्ट कर सकते हैं.
बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस
बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस, बैक्टीरिया के कारण होता है और इसमें आंखों का लाल होना, पानी निकलना और चुभन होना काफी आम है. यह संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से या किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ चीजें शेयर करने से फैल सकता है. बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस के इलाज के लिए आमतौर पर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप दी जाती है. इसे फिर से होने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की पूरी डोज लेनी जरूरी है.
एलर्जी कंजक्टिवाइटिस
एलर्जी कंजक्टिवाइटिस धूल के कण, पालतू जानवरों की रूसी या कुछ रसायनों जैसे एलर्जी के कारण हो जाती है. यह अधिक संक्रामक नहीं है और इससे दोनों आंख इफेक्टेड होती हैं. तेज खुजली, लाल होना और चुभन होना इसके संकेत हैं. एलर्जी के संपर्क से बचने और एंटीहिस्टामाइन आई ड्रॉप का उपयोग करने से आराम मिल सकता है.
कैमिकल कंजक्टिवाइटिस
कैमिकल कंजक्टिवाइटिस, उत्तेजक पदार्थों या कैमिकल के संपर्क में आने से होता है. जैसे स्विमिंग पूल के पानी में मिला क्लोरीन, धुआं या फ्लोर या बेस क्लीनर्स से निकलने वाली गैस. इसके लक्षणों में आंखें लाल होना, दर्द और पानी निकलना काफी कॉमन है. ऐसे मामलों में आंखों को तुरंत साफ पानी से धोना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि ऐसे कैमिकल अधिक नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.
आई फ्लू के लक्षण
चिकित्सकों द्वारा दी गयी जानकारी देते हुए बताया कि, मानसूनी सीजन में फैलने वाला यह आई फ्लू रोग कई तरह का होता है । आई फ्लू रोग बैक्टीरिया, वायरस या एलर्जी के कारण पनपता है और फैलता है । अभी जिस संक्रामक रोग का शिकार लोग हो रहे हैं, वह काफी तेजी से फैलने वाला है। इस बीमारी के लक्षण निम्न तौर पर है …
-आंखों में खुजली
– चिपचिपापन
– पलकों में सूजन
आई फ्लू से बचाव व उपाय
आई फ्लू से बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि, आप अपने आस – पास और खास तौर पर शारीरिक तौर पर सफाई का खास ध्यान रखें । यह बीमारी इंफेक्शन के जरिए तेजी से फैलती है । तो आइए जानते है किस प्रकार से इस बीमारी से खुद को बचा सकते है , ये है आई फ्लू से बचाव के तरीके …
- हाथों को बार बार धोएं
- संक्रमित व्यक्ति से दूरी
- संक्रमित होने पर खुद को आइसोलेट करें
- भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचे
उपाय
-थोड़े-थोड़े समय पर अपने हाथों की सफाई करें.
-आंखों को बार-बार न छुएं.
-अपने आसपास सफाई रखें.
-अपनी आंखों को समय-समय पर धोएं.
-अगर बाहर जाना ज्यादा जरूरी है तो काला चश्मा पहन कर जाएं.
-पीड़ित व्यक्ति से आई कांटेक्ट बनाने से बचें.
-संक्रमित व्यक्त के बेड, तौलिया या कपड़े इस्तेमाल न करें
-टीवी-मोबाइल से दूरी बनाए रखें.
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जानें क्या कहते हैं आंकड़े
आई फ्लू को लेकर स्वस्थ विभाग द्वारा किये जा रहे सर्वे के अनुसार सामने आए आंकड़ो के मुताबिक, दिल्ली एनसीआर, महाराष्ट्र और कर्नाटक में इसकी संख्या लगातार बढ़ रही है। राजधानी दिल्ली के बाद महाराष्ट्र वो राज्य है जहां से आई फ्लू के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे है ।
सर्वे में सामने आए नतीजों के मुताबिक अब तक महाराष्ट्र से एक हफ्ते में 17% मामले आई फ्लू के सामने आए है । वहीं देश के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में 8% लोगों के घरों में 4 या चार से अधिक सदस्य आई फ्लू के चपेट में आए हैं. जबकि, 9% लोगों के घर में केवल एक व्यक्ति ही इस बीमारी के चपेट में हैं। वहीं , अगर बात करें यूपी की तो यहां 15 दिनों में कंजक्टिवाइटिस के 40-50 प्रतिशत तक मामले दर्ज किये गये है ।