PM Modi Varanasi Visit: पीएम मोदी दो दिवसीय वाराणसी दौरे पर है. शुक्रवार को पीएम मोदी यूपी के अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी पहुंचे. इस दौरान वे कई कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे. इसके साथ ही 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे. बीती देर रात पीएम मोदी ने शिवपुर-फुलवरिया-लहरतारा मार्ग का निरीक्षण किया, जिसका अभी हाल ही में उद्घाटन किया गया था.
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PM Modi का शंख ध्वनि से स्वागत हुआ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज बीएचयू स्वतंत्रता भवन पहुंचे, जहां पर उनका शंख ध्वनि से स्वागत किया गया. इसके बाद पीएम मोदी ने बीएचयू में संसद संस्कृत प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार बांटे.उसके बाद उन्होंने अपना संबोधन शुरु किया. लेकिन पीएम मोदी का संबोधन इस बार कुथ अलग ही अंदाज में सुनने को मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का BHU में भोजपुरी अंदाज देखा गया. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कई बार भोजपुी बोला. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा ‘जिस काशी को काल से भी प्राचीन कहा जाता है, उसकी पहचान को युवा पीढ़ी जिम्मेदारी से सशक्त बना रही है. यह दृश्य मेरे मन को संतुष्टि देता है, गर्व महसूस कराता है और विश्वास भी दिलाता है कि अमृत काल में युवा देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे.’
’10 वर्षों में काशी में विकास कार्य हुए’
इसी कड़ी में आगे पीएम मोदी ने कहा ‘काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है, आज काशी का वो सामर्थ्य और स्वरूप फिर से संवर रहा है. ये पूरे भारत के लिए गौरव की बात है.पिछले 10 वर्षों में काशी में विकास के जो कार्य हुए हैं. काशी के बारे में संपूर्ण जानकारी पर आज यहां दो बुक भी लांच की गई है. पिछले 10 वर्ष में काशी ने विकास की जो यात्रा तय की है, उसके हर पड़ाव और यहां की संस्कृति का वर्णन इस बुक में भी किया गया है.
‘नए विचारों का जन्म होता’
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि हम सब तो निमित्त मात्र हैं, काशी में करने वाले तो महादेव हैं. जहां महादेव की कृपा हो जाती है, वह धरती ऐसे ही संपन्न हो जाती है. काशी में विकास का डमरू बज रहा है.एक समय था, जब भारत की समृद्धि गाथा पूरे विश्व में कही जाती थी. इसके पीछे भारत की केवल आर्थिक ताकत ही नहीं थी. इसके पीछे हमारी सांस्कृतिक समृद्धि भी थी, सामाजिक और आध्यात्मिक समृद्धि भी थी. पूरे देश से और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध और शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं. हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज के लोग काशी आकर बसे हैं. जिस स्थान पर ऐसी विविधता होती है, वहीं नए विचारों का जन्म होता है.
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