Arun Goyal Resigns: लोकसभा चुनाव में बहुत ही कम समय बचा है,चुनाव आयोग किसी भी समय तारीखों का ऐलान कर सकती है.ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की संभावित घोषणा से कुछ दिनों पहले ही शनिवार को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. कानून मंत्रालय की एक अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को अरुण गोयल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. बता दे कि उनका कार्यकाल दिसंबर साल 2027 तक का था. अगले साल राजीव कुमार की सेवानिवृत्ति के बाद अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में उनकी जगह लेने के लिए कतार में थे.
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इस्तीफे के कारण स्पष्ट नहीं!
फिलहाल अरुण गोयल के इस्तीफे की वजह सामने नहीं आई है. लेकिन इस पर सियासत जरुर शुरु हो गई है. उनके इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने सवाल करने शुरु कर दिए है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयुक्त पद से अरुण गोयल का इस्तीफा तीन सवाल खड़े करता है. पहला तो यह कि क्या उन्होंने वास्तव में मुख्य चुनाव आयुक्त या मोदी सरकार के साथ मतभेदों पर इस्तीफा दिया? जो सभी कथित स्वतंत्र संस्थानों के लिए सबसे आगे रहकर काम करती है? दूसरा सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि क्या उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफा दिया? वहीं इसके साथ ही तीसरे सवाल पर कहा कि क्या उन्होंने कुछ दिन पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह भाजपा के टिकट पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दे दिया था?
क्या बोले जयराम रमेश?
इसी कड़ी में जयराम रमेश ने आगे कहा कि चुनाव आयोग ने 8 महीने से वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के मुद्दे पर देश की राजनीतिक पार्टियों से मिलने से इनकार कर दिया है, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग हेरफेर (EVM) को रोकने के लिए बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के भारत में प्रत्येक बीतता दिन लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थानों पर एक अतिरिक्त झटका दे रहा है.
खरगे ने उठाए सवाल…
इसके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने X पर एक पोस्ट में कहा कि चुनाव आयोग या चुनाव चूक? भारत में अब केवल एक चुनाव आयुक्त हैं, जबकि कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनावों की घोषणा होनी है. उन्होंने कहा कि अगर स्वतंत्र संस्थानों का ”व्यवस्थित विनाश” नहीं रोका गया तो तानाशाही द्वारा लोकतंत्र पर कब्जा कर लिया जाएगा.
4 साल में दूसरे चुनाव आयुक्त का इस्तीफा
आपको बता दे कि पिछले 4 साल में अशोक लवासा के बाद ये दूसरे चुनाव आयुक्त हैं, जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है. लवासा के पद पर रहते चीफ इलेक्शन कमिश्नर और इलेक्शन कमिश्नर के साथ उनके मतभेदों के किस्से सार्वजनिक थे. अगस्त साल 2020 में लवासा ने चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने पिछले लोकसभा चुनावों में चुनाव आयोग द्वारा लिए गए विभिन्न मॉडल कोड उल्लंघन निर्णयों पर असहमति जताई थी.
अब इस तरह होगी CEC-EC की नियुक्त..
नए मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम-2023 के तहत, जो दिसंबर में संसद द्वारा पारित किया गया और 2 जनवरी को लागू हुआ था, केंद्र सरकार अब लोकसभा चुनाव से पहले दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कर सकती है.इस चयन प्रक्रिया में दो समितियां शामिल होगी. पहला कानून मंत्री के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय खोज समिति, जिसमें दो सचिव स्तरीय अधिकारी भी शामिल रहेंगे.
इसके बाद इनके सुझाए नामों में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय चयन समिति फैसला करेगी. इस समिति में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के अलावा एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे.खोज समिति चयन समिति को पांच नामों की सिफारिश करेगी, हालांकि चयन समिति को इस सूची के बाहर से भी आयुक्तों का चयन करने का अधिकार है.इसके बाद चयन समिति द्वारा सुझाए व्यक्ति को राष्ट्रपति बतौर चुनाव आयुक्त नियुक्त करेंगी.
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