Eid 2025: ईद-उल-फितर इस्लाम का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका हर साल बेसब्री से इंतजार किया जाता है. रमजान के महीने में रोजे रखने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन को बड़े धूमधाम से मनाते हैं। इसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है और यह रमजान के बाद, शव्वाल महीने की पहली तारीख को मनाई जाती है। चूंकि ईद का दिन चांद के दिखने पर निर्भर करता है, इसलिए इसकी सही तारीख का निर्धारण करना मुश्किल होता है। इस साल, यानी 2025 में, ईद 31 मार्च या 1 अप्रैल में से किसी एक दिन मनाई जा सकती है। आइए जानते हैं कि इस बार ईद कब होगी और इसकी तारीख कैसे तय की जाती है।
भाईचारे, मोहब्बत और खुशियों को बांटने का मौका

रमजान का मुबारक महीना अपने आखिरी दिनों में है। अब हर किसी को ईद के चांद का इंतजार है। चांद नजर आते ही मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-फितर मनाया जाएगा। यह त्योहार न केवल इबादत और शुक्राने का दिन है, बल्कि भाईचारे, मोहब्बत और खुशियों को बांटने का भी मौका है.मान्यता है पूरे महीने रोजे रखने…इबादत करने और खुदा के करीब जाने के बाद यह दिन अल्लाह की तरफ से एक इनाम के तौर पर आता है.बाजारों में चहल-पहल बढ़ जाती है.नए कपड़े, मिठाइयां और सेवइयों की खुशबू माहौल को और खुशनुमा करती है.
मस्जिदों में नमाज के बाद लोग गले मिलते हैं.एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं और जरूरतमंदों की मदद करके इस त्योहार को और पाक बनाते हैं.ईद-उल-फितर पूरी तरह से चांद के दीदार पर निर्भर करती है, इसलिए इसकी तारीख हर साल बदलती रहती है…इस बार भी लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि.ईद का यह खास दिन कब आएगा…जिसको लेकर भारत में भी उत्साह का महौल देखा जै रहा है…तो चलिए जानते कि अखिर ईद-उल- फितर का त्यौहार मनाया क्यों जाता है.
रोजा केवल भूखे और प्यासे रहने का नाम नहीं…

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रोजा केवल भूखे और प्यासे रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह अपनी इच्छाओं को काबू में रखने और अल्लाह के करीब जाने का जरिया है. रमजान का महीना आत्मसंयम, सहनशीलता और आध्यात्मिक शुद्धि का महीना होता है. ऐसे में जब रमजान समाप्त होता है, तो अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के लिए ईद मनाई जाती है. यह इस बात का प्रतीक है कि रोजे रखने वाले लोग आत्मसंयम और त्याग की परीक्षा में सफल हुए.
इस्लाम धर्म में माना जाता है कि रमजान के दौरान रोजे रखने और इबादत करने से इंसान के सभी छोटे-छोटे गुनाह माफ हो जाते हैं. ऐसे में ईद का दिन जश्न और खुशी का होता है, जिसमें लोग अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और करीबियों के साथ खुशियां बांटते हैं.इससे अलग एक मान्यता यह भी है कि 624 ईस्वी में पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी. तब अपनी सफलता की खुशी में उन्होंने लोगों का मुंह मीठा कराया था और पहली बार पैगंबर मुहम्मद ने ही ईद मनाई थी.
कैसे तय होती है ईद की तारीख ?

इस्लामी कैलेंडर चांद पर आधारित होता है. इसलिए ईद-उल-फितर की तारीख हर साल बदलती रहती है। यह त्योहार शव्वाल महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है जो रमजान के खत्म होने का ऐलान करता है. ईद की तारीख तय करने का सबसे अहम तरीका है चांद का दीदार। अगर रमजान के 29वें दिन चांद नजर आ जाता है तो अगले दिन ईद होती है लेकिन अगर चांद नहीं दिखता तो रमजान 30 दिनों का पूरा होता है और उसके बाद ईद मनाई जाती है.
इसकी वजह भी चांद है चांद के दिखने का समय और स्थिति हर देश में अलग-अलग होती है.इसलिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में ईद अलग दिनों में भी हो सकती है.कई इस्लामी देश चांद देखने के लिए आधिकारिक समितियां बनाते हैं जो वैज्ञानिक और धार्मिक आधार पर निर्णय लेती हैं.कुछ जगहों पर लोग सऊदी अरब की घोषणा के आधार पर भी ईद मनाते हैं.इसलिए ईद की सही तारीख का फैसला चांद के दीदार के बाद ही किया जाता है.
कब हुई थी रमजान की शुरुआत ?

भारत में इस साल रमजान की शुरुआत 2 मार्च 2025 से हुई थी। चूंकि इस्लामी महीना 29 या 30 दिनों का होता है. इसलिए ईद की तारीख चांद के दिखने पर तय होगी. अगर 30 मार्च की शाम को चांद नजर आ जाता है तो ईद 31 मार्च 2025,सोमवार को होगी। लेकिन अगर चांद 31 मार्च की शाम को दिखता है तो ईद 1 अप्रैल 2025 ,मंगलवार को मनाई जाएगी. इसको लेकर देश के अलग-अलग जगहों पर बजारों का महौल गुलजार नजर आ रहा है.