प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज पीएमएलए (Prevention of Money Laundering Act) के तहत एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 1646 करोड़ रुपये के सबसे बड़े क्रिप्टो फंड को जब्त किया है। यह कार्रवाई वित्तीय अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामलों में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। ईडी ने इस फंड को एक क्रिप्टोकरंसी ट्रांजैक्शन के माध्यम से जब्त किया है, जिससे भारतीय वित्तीय बाजार में एक बड़ा झटका आ सकता है।
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अवैध व्यापार की गतिविधिया

सूत्रों के अनुसार, यह क्रिप्टो फंड अवैध मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य वित्तीय अपराधों से संबंधित था, जिसमें कई अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएं भी शामिल थीं। यह फंड कुख्यात क्रिप्टो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्मों और अवैध व्यापार गतिविधियों से जुड़ा हुआ था। ईडी ने इस मामले में व्यापक जांच की और पाया कि इस फंड का उपयोग कई अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा था, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण जैसी गंभीर बातें भी शामिल हैं।
अधिकारियों की कार्रवाई
ईडी (ED) के अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई प्रधानमंत्री मोदी के दिशा-निर्देशों के तहत की जा रही है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय अपराधों से संबंधित मामलों में कड़ी कार्रवाई करने की बात की गई है। इस फंड के जब्त होने से अधिकारियों को यह पता चलने की उम्मीद है कि इस राशि का इस्तेमाल किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा था और यह किसे लाभ पहुंचा रहा था।

मजबूत और सुरक्षित वित्तीय
क्रिप्टोकरंसी का तेजी से बढ़ता हुआ बाजार भारत में भी अब मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य वित्तीय अपराधों का प्रमुख कारण बन रहा है। हाल ही में क्रिप्टो से जुड़ी कई अवैध गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, और यह कार्रवाई इसी दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
ईडी के अधिकारियों ने यह भी कहा कि वे इस तरह के वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए लगातार कार्रवाई करेंगे, ताकि भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत और सुरक्षित वित्तीय सिस्टम प्रदान किया जा सके।इस कार्रवाई के बाद अब क्रिप्टोकरंसी व्यापारियों और निवेशकों में यह डर व्याप्त हो सकता है कि इस तरह की कार्रवाइयां और भी बढ़ सकती हैं। हालांकि, ईडी का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाना है, न कि सामान्य क्रिप्टो निवेशकों को प्रभावित करना।

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सरकारी नियंत्रण और निगरानी
इस कार्रवाई को लेकर वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि, यह कदम भारत में क्रिप्टोकरंसी पर सरकारी नियंत्रण और निगरानी को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम हो सकता है। इस कार्रवाई से वित्तीय संस्थाओं और व्यापारियों को यह संदेश जाता है कि अब उन्हें अपनी गतिविधियों को पारदर्शी और कानूनी रूप से संचालित करना होगा।