ED action Sahara Group: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक बड़े मामले में सहारा इंडिया और उसकी सहयोगी कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने महाराष्ट्र के लोनावाला स्थित प्रसिद्ध एंबी वैली सिटी के पास की 707 एकड़ जमीन को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है। इस जमीन की अनुमानित बाजार कीमत करीब 1460 करोड़ रुपये बताई जा रही है। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत की गई है।
Read More:Stock market today: निफ्टी बैंक इंडेक्स में जोरदार छलांग, बाजार में निवेशकों का उत्साह
निवेशकों से सहारा समूह ने किया धोखा
ईडी की जांच के मुताबिक, सहारा समूह ने अपने निवेशकों को धोखे में रखकर बड़ी मात्रा में पैसे इकट्ठा किए और इन पैसों का उपयोग बेनामी संपत्तियों को खरीदने, निजी खर्चों और आलीशान जीवनशैली को बनाए रखने में किया। जांच में यह भी सामने आया है कि यह जमीन बेनामी नामों से खरीदी गई थी और इसके लिए जो रकम इस्तेमाल की गई, वह सहारा समूह की विभिन्न कंपनियों से गबन की गई थी।
Read More:Share market stocks: भारतीय शेयर बाजार के टॉप परफॉर्मिंग स्टॉक्स…जानिए विश्लेषण
ईडी की जांच शुरू
ईडी ने यह जांच ओडिशा, बिहार और राजस्थान की पुलिस द्वारा दर्ज की गई तीन एफआईआर के आधार पर शुरू की थी। ये एफआईआर M/s Humara India Credit Co-operative Society Ltd (HICCSL) और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 120B (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत दर्ज की गई थीं। इसके बाद देशभर में सहारा समूह की कंपनियों और उनसे जुड़े व्यक्तियों के खिलाफ 500 से अधिक एफआईआर दर्ज की गईं, जिनमें से 300 से ज्यादा मामले PMLA के तहत दर्ज हैं।
Read More:Vodafone Idea Share Price: सेंसेक्स-निफ्टी की जबरदस्त छलांग! वोडाफोन आइडिया में भी हलचल, क्या है अंदर की खबर?
निवेशकों और एजेंटों को दिया लालच
आरोप है कि सहारा समूह ने निवेशकों और एजेंटों को ऊंचे रिटर्न और कमीशन का लालच देकर निवेश करवाया। निवेशकों की मर्जी के बिना उनकी रकम को दोबारा निवेश किया गया और मैच्योरिटी पूरी होने पर भी भुगतान नहीं किया गया। इस दौरान समूह ने पुरानी देनदारियों को चुकाने के लिए नई जमाएं स्वीकार करना जारी रखा, जो कि पोंजी स्कीम का हिस्सा थी।इसके अलावा, जांच में यह भी पाया गया कि सहारा समूह ने अपनी संपत्तियां बेचकर नकद में भुगतान प्राप्त किया और इस लेन-देन की जानकारी निवेशकों को नहीं दी गई। इससे यह साफ जाहिर होता है कि समूह ने निवेशकों को उनके अधिकार से वंचित किया और उनके साथ धोखाधड़ी की।