EVM Controversy: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर पिछले कुछ दिनों से लगातार बहस छिड़ी हुई. लोकसभा चुनाव के दौरान भी इसको लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच जमकर बयानबाजी देखने को मिली थी,लेकिन चुनावी नतीजे सामने आने के बाद ये शब्द जैसे गायब से हो गया था..लेकिन एक बार फिर से ईरवीएम सुर्खियों में आ गया है. इस बार ये मुद्दा देश ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है. इस बीच एक निर्वाचन अधिकारी का बयान सामने आया है.
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निर्वाचन अधिकारी का बयान
ईवीएम एक स्वतंत्र प्रणाली है, जिसे अनलॉक (खोलने) करने के लिए ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) की जरूरत नहीं होती. यह बात एक निर्वाचन अधिकारी ने रविवार को कही है. मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र की निर्वाचन अधिकारी वंदना सूर्यवंशी, मिड-डे समाचार पत्र में प्रकाशित एक खबर पर अपनी प्रतिक्रिया दे रही थीं, जिसमें कहा गया है कि शिवसेना उम्मीदवार रवीन्द्र वायकर के एक रिश्तेदार ने 4 जून को मतगणना के दौरान एक मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था, जो ईवीएम से जुड़ा था.
‘यह एक सुरक्षित तथा स्वतंत्र प्रणाली’
बीते कुछ दिनों से ईवीएम को लेकर बहस छिड़ी हुई है. इस बीच वंदना सूर्यवंशी ने स्पष्ट किया कि ईवीएम को अनलॉक करने या ऑपरेट करने के लिए किसी भी तरह के ओटीपी की आवश्यकता नहीं होती और यह एक सुरक्षित तथा स्वतंत्र प्रणाली है. मतगणना के दौरान मोबाइल फोन के उपयोग के मामले में उन्होंने विस्तृत जांच का भरोसा दिलाया और कहा कि निर्वाचन प्रक्रिया की पवित्रता बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. ईवीएम के बारे में फैली गलतफहमियों को दूर करते हुए उन्होंने बताया कि यह प्रणाली पूरी तरह से सुरक्षित है और इसके संचालन में किसी भी प्रकार की बाहरी सहायता की आवश्यकता नहीं होती.
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‘इसे लेकर अफवाह फैलाई जा रही’
ईवीएम को लेकर उठ रहे विवाद पर निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि इसे लेकर अफवाह फैलाई जा रही है. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ईवीएम पर गलत खबर फैलाई गई है और सारे आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने कहा, “ईवीएम में अनलॉकिंग के लिए कोई ओटीपी नहीं आती है, जो खबर चल रही है वो पूरी तरह से गलत है. ईवीएम किसी मशीन से जुड़ा हुआ नहीं होता है.” हमने मिड-डे अखबार को आईपीसी की धारा 499, 505 के तहत मानहानि और झूठी खबर फैलाने के लिए एक नोटिस जारी किया है.”
निर्वाचन अधिकारी ने क्या कहा ?
पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि वायकर के रिश्तेदार मंगेश पांडिलकर पर 4 जून को आम चुनाव के परिणाम घोषित होने के दिन मतगणना केंद्र पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के आरोप में बुधवार को एक मामला दर्ज किया गया. उन्होंने कहा, “मतदान कर्मी दिनेश गुरव की शिकायत पर पांडिलकर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. एक निर्दलीय उम्मीदवार ने मतगणना केंद्र पर मोबाइल फोन पर प्रतिबंध के बावजूद पांडिलकर को मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते देखा और निर्वाचन अधिकारी को इसकी जानकारी दी. निर्वाचन अधिकारी ने वनराई पुलिस से संपर्क किया.”
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‘मामले की जांच की जा रही’
अधिकारी ने बताया कि पांडिलकर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (आधिकारिक आदेश की अवहेलना) के तहत एक मामला दर्ज किया गया है. अधिकारी ने आगे कहा, कुछ लोगों को हमने डाटा अपलोड करने के लिए मोबाइल ले जाने की इजाजत दी थी. लेकिन उस संबंधित व्यक्ति तक वह मोबाइल कैसे गया, उस पर हमने खुद भी एफआईआर दर्ज कराई है और मामले की जांच की जा रही है. किसी को सीसीटीवी नहीं मिलेगा, जब तक कि कोर्ट का ऑर्डर नहीं होता है.
राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में क्या कहा ?
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट कर कहा, जब संस्थाओं में जवाबदेही ही नहीं होती तो लोकतंत्र दिखावा बन कर रह जाता है और धांधली की आशंका बढ़ जाती है. इस पोस्ट के साथ उन्होंने एक खबर की तस्वीर भी साझा की, जिसमें दावा किया गया कि मुंबई की उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट से 48 वोट से जीत दर्ज करने वाले शिवसेना के उम्मीदवार के एक रिश्तेदार के पास एक ऐसा फोन था जिससे ईवीएम में छेड़छाड़ संभव थी.
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राहुल गांधी ने एलन मस्क के पोस्ट साझा किया
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने एक्स पर एलन मस्क की उस पोस्ट को भी साझा किया जिसमें मस्क ने ईवीएम को हटाने की बात कही थी. मस्क ने अपनी पोस्ट में कहा था, हमें ईवीएम को खत्म कर देना चाहिए. मनुष्यों या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा हैक किए जाने का जोखिम, हालांकि छोटा है, फिर भी बहुत अधिक है.
विपक्षी दल पिछले कुछ समय से लगातार सवाल उठा रहे
विपक्षी दल पिछले कुछ समय से लगातार ईवीएम पर चिंता जता रहे हैं और उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों का शत प्रतिशत मिलान करने की अपील की थी, लेकिन अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया. राहुल गांधी और मस्क के पोस्ट से ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए हैं और यह बहस का मुद्दा बन गया है कि क्या वर्तमान चुनाव प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए सुधारों की आवश्यकता है.