वेंटिलेटर के अभाव में महिला मरीज की एम्बुलेंस में ही तड़प कर मौत

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By Komal

Lucknow : केजीएमयू समेत अन्य अस्पतालों में इलाज के लिए दूर जनपदों से आ रहे मरीजों को वेंटिलेटर तक नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है। केजीएमयू में परिजनों के दौड़ लगाने के बावजूद उसके मरीज को वेंटिलेटर नहीं मिला। करीब तीन घंटे तक वेंटिलेटर के लिए चिल्लाते रहे पर,कोई सुनवाई नहीं हुई। इसी बीच देवरिया की महिला मरीज की एम्बुलेंस में ही तड़प कर मौत हो गई। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल रहा। वहीं केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि वेंटिलेटर सीमित हैं।

देवरिया निवासी सुनैना देवी (55) को ब्रेन हैमरेज के बाद आईटी कॉलेज के पास निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बावजूद हालत गंभीर होती चली गई। गुरुवार को वेंटिलेटर सपोर्ट पर एम्बुलेंस से ट्रॉमा सेंटर भेज दिया गया। यहां वेंटिलेटर के लिए परिवारीजन पहले से लेकर पांचवें तल तक भटकते रहे। गांधी वार्ड भी गए। इस दौरान सुनैना देवी एम्बुलेंस में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थीं। ट्रॉमा के डॉक्टर ने मरीज को बलरामपुर अस्पताल ले जाने की सलाह दी तो परिवारीजन वहां की इमरजेंसी पहुंचे। वहां डॉक्टर ने सुनैना देवी की जांच के बाद मृत घोषित कर दिया।

परिवारीजनों का कहना है कि इलाज के अभाव में मरीज की मौत हुई है। करीब तीन घंटे वेंटिलेटर की आस में ट्रॉमा सेंटर में भटकते रहे। सुनवाई नहीं हुई। केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह का कहना है कि सभी गंभीर मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। वेंटिलेटर सीमित हैं। प्रदेश भर से मरीज आ रहे हैं। वेंटिलेटर खाली होने पर मुहैया कराया जा रहा है। गंभीर मरीज वेंटिलेटर के लिए एक से दूसरे अस्पताल में भटक रहे हैं। ऐसा तब है जब करीब 250 वेंटिलेटर ताले में बंद हैं। इनमें से 94 तो केजीएमयू में ही ताले में बंद हैं। विशेषज्ञ व प्रशिक्षित टेक्नीशियन की कमी से लोहिया, लोकबंधु, बलरामपुर समेत दूसरे सरकारी अस्पतालों में सभी उपलब्ध वेंटिलेटर का संचालन नहीं हो पा रहा है। इसका खामियाजा गंभीर मरीजों को जान देकर भुगतना पड़ रहा है।

वेंटिलेटर की आस में भटकते हैं सैंकड़ों मरीज

सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में वेंटिलेटर की आस में सैकड़ों मरीज भटकते हैं। कोविड काल के दौरान पिछले तीन वर्षों में प्रदेश के अस्पतालों में सप्लाई किए गए पांच हजार से अधिक वेंटिलेटर में एक चौथाई भी प्रयोग में नहीं लाए जा रहे हैं। केजीएमयू के ट्रामा सेंटर के आइसीयू में कुल 78 वेंटिलेटर हैं। पल्मोनरी मेडिसिन, क्रिटिकल केयर समेत अन्य विभागों में कुल मिलाकर 250 वेंटिलेटर युक्त बेड हैं जो पूरी तरह से मरीजों से भरे हुए हैं। नए मरीजों को वेंटिलेटर पाने के लिए तीन-चार दिन इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं केजीएमयू के लिंब सेंटर के दूसरे तल पर बने कोविड वार्ड के स्टोर रूम में 40 से ज्यादा वेंटिलेटर ताले में बंद हैं। पीजीआई के अपेक्स ट्रामा सेंटर की पांच मंजिला इमारत में केवल 70 बेड पर मरीजों की भर्ती हो रही है जिनमें केवल 26 वेंटिलेटर युक्त हैं। वहीं, कोविड काल में 200 से अधिक मरीजों का इलाज इस ट्रामा सेंटर में हो रहा था और 100 से ज्यादा वेंटिलेटर मरीजों की जान बचाने में जुटे थे। इस वक्त यहां दूसरे तल पर स्थित वेंटिलेटर युक्त आइसीयू में ताला लगा हुआ है। पूरी बिल्डिंग में करीब 100 वेंटिलेटर बेकार पड़े हुए हैं।

कोविड का संक्रमण बढऩे पर वर्ष 2021 में पीएम केयर फंड विधायक एवं सांसद निधि, कंपनियों के कॉर्पोरेट सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंड और अन्य लोगों से दान के जरिए सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में 5,000 से अधिक वेंटिलेटर मुहैया कराए गए थे। इनमें पीएम केयर फंड से चिकित्सा शिक्षा विभाग को 2,497 वेंटिलेटर मिले जिन्हें 33 मेडिकल कॉलेजों में लगाया गया था। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों और डेडीकेटेड कोविड अस्पतालों में भी 2,500 से अधिक वेंटिलेटर लगाए गए थे। केंद्र सरकार के निर्देश पर पिछले साल 27 दिसंबर को जब सभी अस्पतालों में कोविड से जुड़े इंतजाम की जांच के लिए मॉकड्रिल का हुआ तो पता चला कि प्रदेशभर में 3,000 से अधिक वेंटिलेटर बेकार पड़े हैं।

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