Donald Trump जल्द करेंगे मंत्रिमंडल का गठन, भारतीय मूल के कश्यप पटेल को भी मिल सकती है जगह

इस बार ट्रंप की कैबिनेट में कई अहम और नए चेहरों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। साथ ही ट्रंप अपने पुराने सहयोगियों में से माइक पोम्पियो जैसे नामों को भी कैबिनेट में शामिल कर सकते हैं। एक प्रमुख बदलाव के तहत भारतीय मूल के कश्यप पटेल को भी महत्वपूर्ण पद मिलने की संभावना है।

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Kashyap Patel

US News: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अपने अगले कार्यकाल के लिए कैबिनेट गठन की तैयारियां शुरू कर दी हैं। माना जा रहा है कि जनवरी में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले ट्रंप अपनी कैबिनेट के चेहरों का चयन कर लेंगे। इस बार ट्रंप की कैबिनेट में कई अहम और नए चेहरों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। साथ ही ट्रंप अपने पुराने सहयोगियों में से माइक पोम्पियो जैसे नामों को भी कैबिनेट में शामिल कर सकते हैं। एक प्रमुख बदलाव के तहत भारतीय मूल के कश्यप पटेल (Kashyap Patel) को भी महत्वपूर्ण पद मिलने की संभावना है।

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वित्त मंत्री के लिए पांच बड़े नामों पर मंथन

वित्त मंत्रालय के लिए ट्रंप के प्रमुख सलाहकारों में से स्कॉट बेसेंट (Scott Besant) का नाम चर्चा में है। बेसेंट ट्रंप के नजदीकी माने जाते हैं और उनके आर्थिक सलाहकार के रूप में लंबे समय से काम कर रहे हैं। बेसेंट के अलावा अरबपति हेज फंड मैनेजर जॉन पॉल्सन का नाम भी इस पद के संभावित उम्मीदवारों में है। पॉल्सन, ट्रंप के दानकर्ताओं में शामिल रहे हैं और ट्रंप की आर्थिक नीतियों के समर्थक हैं।

फॉक्स बिजनेस नेटवर्क से जुड़े लैरी कुडलो का नाम भी वित्त मंत्री के लिए संभावित है। कुडलो ने ट्रंप के पिछले कार्यकाल में राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक के तौर पर सेवा दी थी। इसके अलावा रॉबर्ट लाइटहाइजर और हावर्ड लुटनिक भी इस दौड़ में हैं। लाइटहाइजर ट्रंप के व्यापार प्रतिनिधि के तौर पर काम कर चुके हैं और लंबे समय से ट्रंप की नीतियों के समर्थक माने जाते हैं। लुटनिक, ट्रंप की आर्थिक नीतियों और टैरिफ नीति के पक्षधर माने जाते हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद के लिए रिचर्ड ग्रेनेल का नाम

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद के लिए रिचर्ड ग्रेनेल (Richard Grenell) का नाम सबसे आगे है। ट्रंप के पिछले कार्यकाल में ग्रेनेल अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया विभाग के कार्यकारी निदेशक रह चुके हैं और जर्मनी में अमेरिकी राजदूत के रूप में भी काम कर चुके हैं। ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच बातचीत में भी ग्रेनेल ने अहम भूमिका निभाई थी। ग्रेनेल की नीतियां ट्रंप के एजेंडे के काफी करीब मानी जाती हैं। रूस-यूक्रेन मुद्दे पर भी ग्रेनेल ने अपनी राय दी है, जो कई देशों के लिए विवाद का कारण भी बनी थी।

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विदेश मंत्री के लिए तीन संभावित नाम

अगले विदेश मंत्री के लिए ट्रंप के करीबी रॉबर्ट ओब्रायन, सीनेटर बिल हैगर्टी और सीनेटर मार्को रूबियो के नाम सामने आ रहे हैं। ओब्रायन ने ट्रंप के पिछले कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्य किया है और कई विदेशी नेताओं से अच्छे संबंध बनाए हैं। हालांकि, रूस-यूक्रेन संघर्ष पर ओब्रायन ट्रंप से थोड़ी भिन्न राय रखते हैं और यूक्रेन को सहायता देने का समर्थन करते हैं।

दूसरी ओर, बिल हैगर्टी को रिपब्लिकन पार्टी के भीतर खासा समर्थन प्राप्त है और उन्हें विदेश मंत्री के रूप में सीनेट की मंजूरी आसानी से मिलने की संभावना है। वह ट्रंप के पहले कार्यकाल में जापान में अमेरिकी राजदूत रह चुके हैं और ट्रंप की नीतियों के पक्के समर्थक माने जाते हैं। तीसरा नाम सीनेटर मार्को रूबियो का है, जो फ्लोरिडा से सीनेटर हैं और ट्रंप के संभावित उपराष्ट्रपति उम्मीदवारों में शामिल रहे हैं। रूबियो का विदेश मामलों पर काफी अनुभव है, खासकर लातिन अमेरिका और पड़ोसी देशों के मुद्दों पर।

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रक्षा मंत्री के लिए माइक पोम्पियो

रक्षा मंत्री के लिए माइक पोम्पियो का नाम सबसे मजबूत माना जा रहा है। पोम्पियो ट्रंप (Pompeo trump) के पिछले कार्यकाल में सीआईए के निदेशक और विदेश मंत्री के तौर पर कार्य कर चुके हैं। हालांकि, यूक्रेन को सैन्य मदद के मुद्दे पर पोम्पियो का रुख ट्रंप के अन्य सहयोगियों से थोड़ा अलग हो सकता है, लेकिन वह इस पद के लिए मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं।

माइक वॉल्ट्ज और टॉम कॉटन भी इस दौड़ में हैं। माइक वॉल्ट्ज पूर्व सैन्य अधिकारी और वर्तमान में फ्लोरिडा से सांसद हैं। वह चीन मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं और चीन पर अमेरिका की निर्भरता को कम करने की नीतियों का समर्थन करते हैं। वहीं, टॉम कॉटन, जो हार्वर्ड के शिक्षित और सेना के अनुभवी हैं, ट्रंप के दानदाताओं में प्रमुख माने जाते हैं। यूक्रेन को सैन्य सहायता देने के समर्थक कॉटन को रक्षा मंत्री के रूप में एक संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है, हालांकि उनके विचार इस पद के लिए उनके पक्ष में नहीं भी हो सकते हैं।

भारतीय मूल के कश्यप पटेल की निभा सकते है महत्वपूर्ण भूमिका

कैबिनेट में भारतीय मूल के कश्यप पटेल को भी एक महत्वपूर्ण भूमिका मिल सकती है। पटेल, ट्रंप प्रशासन में पहले भी सुरक्षा और खुफिया विभाग में कार्य कर चुके हैं और ट्रंप के बेहद करीबी माने जाते हैं। ट्रंप के अगले कार्यकाल में पटेल की भूमिका को लेकर काफी चर्चा हो रही है, और उन्हें उच्च पदों में से किसी एक के लिए चुने जाने की संभावना है।

संभावनाओं और चर्चाओं के बीच कैबिनेट गठन का इंतजार ट्रंप की कैबिनेट में कौन-कौन से चेहरे शामिल होंगे, इस पर अभी चर्चा जारी है। अगले कुछ महीनों में इन नामों की घोषणा होने की संभावना है, जिससे यह साफ हो सकेगा कि ट्रंप अपने अगले कार्यकाल में किन लोगों को अपनी कैबिनेट में शामिल करेंगे।

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