Trump Tariffs Live Updates:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने के ऐलान ने पूरी दुनिया में आर्थिक हलचल मचा दी है। उनके इस कदम से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा है, और कई देशों के शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई है। भारत सहित अन्य देशों के वित्तीय बाजारों में बड़ा नुकसान हुआ है। इस फैसले का असर जिम्बाब्वे पर भी पड़ा, जिसने अमेरिका से आने वाले सामानों पर लगाए गए टैरिफ को हटा दिया, ताकि ट्रंप के साथ अच्छे रिश्ते बनाए जा सकें।
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शेयर बाजारों में भारी गिरावट
ट्रंप के टैरिफ के ऐलान के बाद, दुनियाभर के शेयर बाजारों में अफरा-तफरी मच गई है। सोमवार को एशियाई बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली। जापान का निक्केई 225 इंडेक्स 6.3% गिर गया, जबकि हांगकांग का हैंग सेंग 10% तक लुढ़क गया। भारत का शेयर बाजार भी खुलते ही करीब 5% नीचे चला गया। अमेरिका में शुक्रवार को सभी प्रमुख स्टॉक इंडेक्स में 5% से अधिक गिरावट आई और S&P 500 ने साल 2020 के बाद का सबसे खराब सप्ताह दर्ज किया
जेपी मॉर्गन बैंक ने चेतावनी दी है कि इन टैरिफ की वजह से अमेरिका और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में मंदी का खतरा 60% तक बढ़ सकता है। इसके अलावा, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नौकरियों की कमी, महंगाई और मंदी का खतरा भी बढ़ सकता है।
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जिम्बाब्वे का फैसला.. ट्रंप को खुश करने की कोशिश?
जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एमर्शन म्नांगागवा ने अमेरिकी सामानों पर लगाए गए टैरिफ को हटा लिया है। उनका यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अच्छे रिश्ते बनाने की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। खासकर तब जब ट्रंप ने जिम्बाब्वे के सामानों पर 18% टैरिफ लगाया था। म्नांगागवा ने इस फैसले के बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “इस कदम से अमेरिका से आयात बढ़ेगा और हमारे देश का निर्यात अमेरिका तक पहुंचने में मदद करेगा।”
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से जिम्बाब्वे को कोई बड़ा आर्थिक फायदा नहीं होगा। सरकारी नीतियों के आलोचक और पत्रकार होपवेल चिन’ओनो ने इसे ट्रंप को खुश करने की कोशिश बताया है, जो इस फैसले के पीछे असल कारण हो सकता है।
कनाडा का कड़ा विरोध: ट्रंप की टैरिफ नीति से खतरा
कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने ट्रंप की टैरिफ नीति के खिलाफ कड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि “ये टैरिफ कनाडा में नौकरियों पर असर डाल सकते हैं, लेकिन असली नुकसान अमेरिका को होगा।” उन्होंने चेतावनी दी कि वित्तीय बाजारों में पहले ही इसके संकेत मिल रहे हैं, जैसे अमेरिका में नौकरियां कम होना, महंगाई बढ़ना और मंदी का खतरा।कार्नी ने ब्रेक्जिट का उदाहरण देते हुए कहा, “मैंने पहले भी ऐसे हालात देखे हैं, तब भी असर धीरे-धीरे दिखा था। अब अमेरिका की स्थिति भी वैसी ही होने वाली है।” उनका यह बयान संकेत दे रहा है कि कनाडा समेत अन्य देशों को भी ट्रंप के इस फैसले से नुकसान हो सकता है, और अमेरिका की स्थिति भी दयनीय हो सकती है।
ट्रंप का बयान: ‘अमेरिका में नौकरियां और निवेश वापस आएंगे’
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टैरिफ नीति का समर्थन करते हुए कहा कि इससे अमेरिका में नौकरियां और निवेश वापस आएंगे। उन्होंने आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा, “कभी-कभी कुछ ठीक करने के लिए दवा लेनी पड़ती है।” ट्रंप के वरिष्ठ अधिकारियों जैसे ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट और कॉमर्स सेक्रेटरी हावर्ड लुटनिक ने भी मंदी की आशंकाओं को गलत बताया और टैरिफ को सही ठहराया।हालांकि, दुनिया के कई बड़े नेता और वित्तीय बाजार इस फैसले से चिंतित हैं। उनके रिएक्शन से यह साफ हो रहा है कि ट्रंप की यह “दवा” पूरी दुनिया के लिए एक कड़वी दवा साबित हो रही है, जिससे वैश्विक व्यापार में और अधिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है।