Dollar Vs Rupee: अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच भारतीय रुपये में 3.3% की गिरावट आई है, लेकिन यह अन्य प्रमुख एशियाई करेंसी के मुकाबले बेहतर स्थिति में है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। इस अवधि में कई अन्य एशियाई करेंसी भारतीय रुपये से अधिक कमजोर हुईं।
अमेरिकी डॉलर इंडेक्स का प्रभाव

राज्य मंत्री ने बताया कि इस दौरान अमेरिकी डॉलर इंडेक्स में 7% की वृद्धि हुई, जिसके चलते दुनियाभर की करेंसी पर दबाव बढ़ा। इसके बावजूद भारतीय रुपये ने दक्षिण कोरियाई वोन (8.1% गिरावट) और इंडोनेशियाई रुपये (6.9% गिरावट) की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का असर
उन्होंने यह भी कहा कि रुपये पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का प्रभाव पड़ा। इसके अतिरिक्त, अमेरिका और भारत के बीच ब्याज दरों में घटते अंतर के कारण भी रुपये पर दबाव देखा गया।
जी-10 देशों की करेंसी पर भी प्रभाव

जी-10 देशों की करेंसी पर भी डॉलर के दबाव का असर देखने को मिला। यूरो में 6.7% और ब्रिटिश पाउंड में 7.2% की गिरावट आई, जिससे यह स्पष्ट है कि डॉलर की मजबूती वैश्विक स्तर पर प्रभाव डाल रही है।
रुपया में जबरदस्त रिकवरी

मंगलवार को भारतीय रुपये में शानदार सुधार देखा गया। डॉलर के मुकाबले रुपया 66 पैसे की बढ़त के साथ 86.79 प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो हाल के वर्षों में रुपये की एक दिन की सबसे बड़ी मजबूती थी। विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि सोमवार को रुपया लगभग 88 के करीब पहुंच गया था, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संभावित हस्तक्षेप के बाद इसमें जबरदस्त सुधार देखने को मिला।
RBI की रणनीति से रुपये में स्थिरता
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 87.45 पर खुला और कारोबार के दौरान 86.61 के उच्चतम स्तर तक पहुंचा। इस सुधार से भारतीय करेंसी की स्थिरता दिखाई देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक की रणनीति ने रुपये को बड़ा सहारा दिया। रुपये में आई लगभग 1% की तेजी बीते दो वर्षों में एक सत्र में सबसे बड़ी बढ़त रही। यह रुपये की मजबूती इस बात का संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में लचीलापन है और नीतिगत हस्तक्षेप से बाजार को स्थिर रखा जा सकता है।
Read More: Tata Steel और Vedanta के शेयरों में तूफान! 2025 में गिरावट के बाद निवेशकों को किसकी तरफ उम्मीद ?