गोलगप्पे खाना है बहुत पसंद? हो जाए सावधान, मिले कैंसर फैलाने वाले केमिकल…

Mona Jha
By Mona Jha

Shocking : गोलगप्पे खाना हर किसी को पसंद आता है। कुछ लोग गोलगप्पे को पानीपुरी, पुचका और फुल्की के नाम से जानते हैं। गोलगप्पे का नाम सुनते ही मुंह में पानी न आए ऐसा हो ही नहीं सकता है। स्ट्रीट फूड में गोलगप्पा सबसे ज्यादा खाया जाने वाला स्नैक्स है। गली के नुक्कड़ से लेकर बड़े-बड़े मॉल में गोलगप्पे आसानी से मिल जाते हैं। गोलगप्पे के खट्टे-मीठे पानी की खुशबू और स्वाद हर किसी को अपनी ओर खींच ही लेता है। इस बीच गोलगप्पे खाने वालों के लिए बुरी खबर सामने आई है।

कर्नाटक में गोलगप्पे में कैंसर नामक केमिकल मिले है। Karnataka में FSSAI ने पानी पूरी के नमूनों में कैंसर पैदा करने वाले रसायन मिले है। दरअसल, बेंगलुरु में पानी पुरी की जांच करने पर इनमें आर्टिफिशियल कलर और कैंसर पैदा करने वाले केमिकल पाए गए हैं।

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गोलगप्पे में कैंसर नामक केमिकल मिले

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को गोलगप्पे के सैंपल में सन सेट येलो, ब्रिलिएंट ब्लू और टेट्रा जान जैसे केमिकल मिले हैं। डॉक्टर के अनुसार, इन कृत्रिम रंगों से पेट की खराबी से लेकर हार्ट की समस्या हो सकती है इसके अलावा ऑटोइम्यून नामक बीमारी भी हो सकती है।कर्नाटक में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने गोलगप्पे की जांच की है। इस जांच में गोलगप्पे के सैंपल लिए गए। जिसमें 22 प्रतिशत सैंपल फेल मिले हैं। कर्नाटक के 79 स्थान से कुल 260 सैंपल लिए गए थे। कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा आयुक्त श्रीनिवास के का कहना है कि उन्हें प्रदेश भर से गोलगप्पा की गुणवत्ता को लेकर शिकायत मिल रही थी। इसके बाद सड़क किनारे लगने वाले स्टॉल के सैंपल लिए गए जिसमें हैल्थ को लेकर चिंता भरी खबर सामने आई।

बता दें कि इससे पहले भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ने कृत्रिम खाद्य रंग वाले कबाब, गोभी मंचूरियन और कॉटन कैंडी पर भी प्रतिबंध लगाया था। वहीं अब गोलगप्पे में कैंसर नामक केमिकल मिलने से कर्नाटक सरकार ने स्ट्रीट फूड खरीदने वालों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।

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गोलगप्पे में पाए गए यह केमिकल

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण को गोलगप्पे के सैंपल में सन सेट येलो, ब्रिलिएंट ब्लू और टेट्रा जान जैसे केमिकल मिले हैं। डॉक्टर का कहना है कि इन कृत्रिम रंगों से पेट की खराबी से लेकर हृदय रोग जैसी गंभीर समस्या होती है और ऑटोइम्यून नामक बीमारी भी हो सकती है।

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