“मकानों को गिराने की धमकी न दें”बुलडोजर कार्रवाई पर SC की सख्त टिप्पणी,याचिकाकर्ता की मांग पर सरकार से मांगा जवाब

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
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Supreme Court: देश के कई राज्यों में अपराधियों और बदमाशों के खिलाफ सरकार द्वारा की जा रही बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीमकोर्ट ने एक बार फिर टिप्पणी की है। देश के कई राज्यों में अपराधियों और आरोपियों के खिलाफ प्रशासन बुलडोजर की कार्रवाई कर रहा है। ऐसे ही एक मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि,अपराध के किसी मामले में कथित शामिल होने की वजह से वैध निर्मित मकानों को ध्वस्त करने का कोई उचित आधार नहीं है।

कानून से चलने वाले देश में मकानों को जमींदोज करने की अधिकारियों द्वारा दी जाने वाली धमकियों को अदालत नजरअंदाज नहीं कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा,बुलडोजर चलाने की धमकी किसी को मत दें अगर ऐसे ही मकानों को गिराने की कार्रवाई की जाती रही तो यह देश के कानून पर बुलडोजर चलाने जैसा होगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश रॉय, सुधांशु धूलिया और एसवीएन भट्टी की पीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें अपराध से जुड़े एक मामले में आरोपी की ओर से नगर निगम के अधिकारियों द्वारा मकान गिराए जाने की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी। आरोपी की मांग पर पीठ ने मकान पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने और यथास्थिति को बनाए रखने के लिए प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

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मकान गिराने की कार्रवाई पर लगाई रोक

दरअसल,गुजरात के जावेद अली नाम के एक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि,परिवार के एक सदस्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के कारण उन्हें नगर निगम की तरफ से मकान को गिराए जाने का नोटिस दिया गया। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने घर गिराने पर स्टे लगा दिया साथ ही सरकार और नगर निगम को नोटिस जारी किया है।

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घरों पर होने वाली बुलडोजर कार्रवाई को गलत बताया

आपको बता दें कि,इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर से घरों को गिराए जाने को गलत ठहराया था। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा था कि,किसी का मकान सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है कि वह एक आरोपी है? भले ही वह दोषी हो फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का विपक्षी दलों ने स्वागत किया था। पीठ ने कहा कि ऐसा देश जहां कानून का राज है वहां परिवार के किसी सदस्य द्वारा किए गए अपराध के लिए परिवार के अन्य सदस्यों या उनके वैध मकान के खिलाफ कार्रवाई की इजाजत नहीं दी जा सकती।

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