“अष्ट निधि के दाता” का अर्थ है, वह व्यक्ति या देवता जो आठ प्रकार की निधियों (धन, संपत्ति, ऐश्वर्य, समृद्धि) का दान करता है। “अष्ट” का अर्थ है आठ, और “निधि” का अर्थ है संपत्ति, निधि या खजाना।प्राचीन भारतीय परंपराओं में अष्ट निधि का उल्लेख अक्सर शास्त्रों में मिलता है, खासकर उन ग्रंथों में जो धन और समृद्धि से संबंधित होते हैं। अष्ट निधि के रूप में आठ प्रमुख प्रकार की संपत्तियाँ मानी जाती हैं, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य लाती हैं। ये आठ निधियाँ हैं…..
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धन – धन, संपत्ति, मुद्रा।
रत्न – रत्न और आभूषण।
द्रव्य – कृषि, वाणिज्य और व्यापार द्वारा प्राप्त होने वाली सामग्री।
गृह – घर, निवास स्थान।
गाय – गायों के रूप में संपत्ति।
दान – दान देने की क्षमता, उदारता।
वीरता – साहस और वीरता।
सुख – शांति, आनंद और जीवन की सुख-समृद्धि।
इन आठ निधियों के दाता के रूप में भगवान या देवता का उल्लेख किया जाता है, जो भक्तों को इन निधियों का आशीर्वाद देने वाले माने जाते हैं। विशेष रूप से, भगवान कुबेर, जो धन और सम्पत्ति के देवता माने जाते हैं, को अष्ट निधियों के दाता के रूप में पूजा जाता है।
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कुबेर और अष्ट निधि की कहानी

कुबेर भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं का खजांची और धन के देवता हैं। वह भगवान शिव के भक्त थे और उन्हें भगवान शिव ने धन और संपत्ति का अधिपति बनाया था। कुबेर को अष्ट निधियों का स्वामी माना जाता है, और वह भक्तों को धन, ऐश्वर्य और सुख की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद देते हैंकहा जाता है कि कुबेर का स्वर्ग में एक भव्य महल था, और उनके पास सभी प्रकार की समृद्धि और ऐश्वर्य था। इसीलिए, उन्हें “अष्ट निधि के दाता” के रूप में पूजा जाता है।इसलिए, अष्ट निधि के दाता का अर्थ है वह जो सभी प्रकार की संपत्ति, सुख और समृद्धि देने वाला हो, और यह विशेष रूप से भगवान कुबेर के साथ जुड़ा हुआ है।