“तिलवा व्रत” एक धार्मिक आयोजन या व्रत है, जो खासकर हिंदू धर्म में कुछ समुदायों द्वारा किया जाता है। इसमें तिल (sesame seeds) और गुड़ का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस व्रत का उद्देश्य शांति, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होता है। “तिलवा व्रत” आमतौर पर खासतौर पर माघ महीने में या किसी शुभ तिथि पर किया जाता है। इसमें तिल और गुड़ का सेवन किया जाता है और विशेष रूप से दान-पुण्य का महत्व है।इस व्रत का धार्मिक महत्व होता है, और इसे करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, समृद्धि और पुण्य की प्राप्ति होती है।
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कैसे करना है “तिलवा व्रत” ?
“तिलवा व्रत” को सुबह सूर्योदय से पहले किया जाता है, और खास ध्यान रखा जाता है कि व्रत के दौरान तिल (तिल, तिल के लड्डू, तिल और गुड़ का मिश्रण) का दान किया जाए। साथ ही, व्रति उपवास रखकर पूजा-पाठ करते हैं और तिल, गुड़, और पानी का दान करते हैं। इस दिन विशेष रूप से स्नान करने के बाद पूजा की जाती है।
पूजा का समय
सुबह: सूर्योदय से पहले स्नान करके पूजा शुरू की जाती है।
दोपहर: इस दिन तिल और गुड़ का दान करते हैं, और यह दान किसी ब्राह्मण या गरीबों को किया जाता है।
पूजा के दौरान विशेष रूप से तिल और गुड़ का महत्व होता है, जिनका धार्मिक दृष्टिकोण से खास स्थान है।
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पुत्र के लिए ही क्यों रहा जाता है “तिलवा व्रत”?
“तिलवा व्रत” खासकर बेटों के लिए रखा जाता है, और इसका धार्मिक महत्व भी इसी संदर्भ में है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य बेटों की लंबी उम्र, सुख-शांति, और समृद्धि की प्राप्ति करना होता है। यह व्रत विशेष रूप से माताओं द्वारा अपने बेटों की भलाई और कल्याण के लिए किया जाता है।
बेटों की लंबी उम्र और स्वास्थ्य: तिलवा व्रत बेटों के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। हिंदू धर्म में बेटे को घर की लाज और परिवार का सहारा माना जाता है, इसलिए उनकी भलाई के लिए यह व्रत रखा जाता है।
परिवार की समृद्धि: इस व्रत के माध्यम से माताएं यह कामना करती हैं कि उनका बेटा जीवन में समृद्ध, सुखी और सफल हो। इस व्रत को करने से परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
पुण्य की प्राप्ति: तिलवा व्रत का महत्व धार्मिक दृष्टिकोण से भी बहुत अधिक है, क्योंकि इसे करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। यह व्रत माताओं द्वारा अपने बेटों के लिए उनके अच्छे भविष्य और जीवन की रक्षा के लिए किया जाता है।
तिलवा व्रत मनाने के कुछ प्रमुख कारण

“तिलवा व्रत” खासकर हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से माघ मास में किया जाता है। यह व्रत खासकर माघ शुक्ल द्वादशी को मनाया जाता है और इसके पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक कारण होते हैं। इस व्रत का उद्देश्य प्रमुख रूप से पुण्य अर्जित करना, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करना है।
पुण्य और शांति: तिल और गुड़ का दान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, मानसिक शांति और संतोष मिलता है।
दीन-हीन की मदद: इस व्रत में विशेष रूप से तिल और गुड़ का दान गरीबों और जरूरतमंदों को किया जाता है, जिससे व्यक्ति को अच्छे कर्मों का फल मिलता है।
समृद्धि की प्राप्ति: तिल और गुड़ को शांति और समृद्धि के प्रतीक माना जाता है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
दिमागी शांति और आत्मनिर्भरता: तिलवा व्रत व्यक्ति के मन को शुद्ध करता है और उसे आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देता है। यह मानसिक तनाव को कम करता है और एक नई ऊर्जा का संचार करता है।