Dev Diwali 2024: हिंदू धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा को विशेष स्थान प्राप्त है. इसे देव दीपावली (Dev Diwali) के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. कार्तिक पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिन देवताओं की उपस्थिति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का खास अवसर भी माना जाता है. इस दिन को लेकर विभिन्न पूजा विधियों और अनुष्ठानों का पालन किया जाता है, जो भक्तों को शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
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देव दीपावली: देवताओं का पृथ्वी पर आगमन

दरअसल, पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं और विशेष रूप से गंगा घाट पर दीप जलाते हैं. इसे देव दीपावली (Dev Diwali) के नाम से जाना जाता है. इस दिन की मान्यता यह है कि देवता राक्षस त्रिपुरासुर का वध कर पृथ्वी को राक्षसों से मुक्त करने के बाद गंगा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं। देवताओं की खुशी में काशी (वाराणसी) के घाटों को दीपों से सजाया जाता है. यही कारण है कि इस दिन को देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है.
कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि

कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु, भगवान शिव और तुलसी माता की पूजा की जाती है. इस दिन का महत्व इस रूप में भी है कि इसे भगवान शिव के त्रिपुरासुर वध और देवी-देवताओं की स्वर्ग लौटने की खुशी में मनाया जाता है. इस दिन भगवान की विशेष पूजा से भक्तों के पाप समाप्त होते हैं और भगवान की कृपा से उन्हें सुख-समृद्धि प्राप्त होती है.
पीपल पर पूजा: देव दिवाली (Dev Diwali) के दिन मीठे जल में दूध मिलाकर पीपल के पेड़ को चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है और घर में समृद्धि आती है.
शिवलिंग पर दूध, शहद और गंगाजल चढ़ाएं: देव दिवाली की संध्या को शिवलिंग पर कच्चा दूध, शहद और गंगाजल मिलाकर चढ़ाना चाहिए। इस उपाय से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है.
मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का तोरण: घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का तोरण बांधने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक समृद्धि आती है.
मां लक्ष्मी को भोग: इस दिन मिश्री और गंगाजल से बनी खीर का भोग मां लक्ष्मी को अर्पित करना चाहिए, ताकि उनकी कृपा से घर में लक्ष्मी का वास हो.
भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि इसे लेकर एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था. त्रिपुरासुर की अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे थे और उनसे मदद की गुहार लगाई थी. भगवान शिव ने इस राक्षस का वध कर देवताओं को राहत दी और फिर सभी देवता खुशी से काशी पहुंचे. वहां उन्होंने दीप जलाकर इस विजय का उत्सव मनाया. यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है.
जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता

कहा जाता है कि इस दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था, जिससे पृथ्वी की रक्षा हुई. भगवान कृष्ण को भी इसी दिन आत्मबोध हुआ था, जिससे उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ. इसके अलावा, इस दिन माता तुलसी का प्राकट्य भी माना जाता है और तुलसी के सामने दीपदान की परंपरा है. कार्तिक पूर्णिमा का पर्व हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है. यह दिन देवताओं की उपस्थिति और उनके आशीर्वाद के लिए विशेष माना जाता है. देव दीपावली (Dev Diwali) के रूप में मनाए जाने वाले इस पर्व का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक है. इस दिन की गई पूजा, व्रत और साधना से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है.