Delhi Air pollution: दिल्ली (Delhi) में प्रदूषण के स्तर को लेकर अब जनता को ज्यादा सचेत होने की आवश्यकता है. दिल्ली न केवल देश का सबसे प्रदूषित शहर है, बल्कि यहां का पीएम 2.5 स्तर तो आसपास के शहरों के मुकाबले बेहद चिंताजनक है. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली का औसत पीएम 2.5 स्तर 243.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है. इस आंकड़े के मुताबिक, दिल्ली का प्रदूषण सप्ताह दर सप्ताह 19.5 प्रतिशत बढ़ा है, जो यहां की वायु गुणवत्ता की गंभीर स्थिति को दर्शाता है. यह रिपोर्ट 21 नवंबर को ‘रेस्पिरर लिविंग साइंसेज’ द्वारा जारी की गई, जिसमें दिल्ली को वायु गुणवत्ता के लिहाज से 281 शहरों की सूची में आखिरी पायदान पर रखा गया है.
दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का अंतर

आपको बता दे कि, दिल्ली (Delhi) के नगरपालिका क्षेत्र में पीएम 2.5 का स्तर आस-पास के शहरों जैसे गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद के मुकाबले 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक अधिक था. यह साफ तौर पर इस बात का संकेत देता है कि दिल्ली में प्रदूषण के स्रोत कुछ स्थानीय हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है. प्रदूषण के इन स्रोतों में मुख्य रूप से वाहन, उद्योग और पराली जलाने जैसी गतिविधियां शामिल हैं. इन पर नियंत्रण पाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
PM 2.5: सूक्ष्म कण और उनके खतरनाक प्रभाव
‘रेस्पिरर लिविंग साइंसेज’ ने 3 से 16 नवंबर तक 281 शहरों में पीएम 2.5 स्तर का विश्लेषण किया, जिसमें पाया गया कि पीएम 2.5 कण ही प्रमुख प्रदूषक हैं. ये कण 2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे होते हैं, और मोटे तौर पर यह कण मानव बाल के व्यास के बराबर होते हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, ये सूक्ष्म कण फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और रक्त धमनियों में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं. ये कण श्वसन तंत्र, हृदय और रक्त संचार पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं.
प्रदूषण बढ़ने के कारण ?

दिल्ली (Delhi) में बढ़ते प्रदूषण के प्रमुख कारणों में वाहनों से निकलने वाला धुंआ, औद्योगिक उत्पादन, और हर साल जलने वाली पराली शामिल हैं. इन तीनों का मिलाजुला प्रभाव प्रदूषण के स्तर को खतरनाक रूप से बढ़ाता है. खासकर सर्दियों के दौरान, जब ठंड के कारण प्रदूषक कण हवा में लंबे समय तक बने रहते हैं और ऊपर नहीं उठ पाते, तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है.
उत्तर भारत में प्रदूषण की बढ़ती चुनौती

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली (Delhi) का प्रदूषण केवल इस शहर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गंगा के मैदानी इलाकों और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों को भी प्रभावित कर रहा है. यह प्रदूषण अब एक बड़े रुझान का हिस्सा बन चुका है, जो पूरे उत्तरी भारत में फैल रहा है. आने वाले महीनों में प्रदूषण के स्तर में और भी वृद्धि हो सकती है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है.
प्रदूषण के बढ़ते स्तर के गंभीर प्रभाव

रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पूरे उत्तर भारत में पीएम 2.5 सांद्रता में बड़ा अंतर है, लेकिन यह स्थिति एक गंभीर बदलाव को सूचित करती है. इस बदलाव से न केवल प्रदूषण की स्थिति की गंभीरता का पता चलता है, बल्कि आने वाले महीनों में इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं के प्रति भी गंभीर चिंताएं पैदा होती हैं. प्रदूषण की बढ़ती मात्रा से ना केवल हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है, बल्कि यह जन स्वास्थ्य के लिए भी खतरे की घंटी है. इस स्थिति से निपटने के लिए तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित किया जा सके.