Delhi Election Result 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम ने राजनीति में एक बड़ा उलटफेर दिखाया है। 27 साल बाद दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) की सरकार बनती नजर आ रही है। 5 फरवरी को हुए मतदान के बाद 8 फरवरी को जारी मतगणना में सुबह 11 बजे तक के रुझानों में भाजपा 42 सीटों पर आगे चल रही थी, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) को 30 सीटों पर बढ़त मिली थी। इस प्रकार भाजपा की 27 साल बाद दिल्ली में वापसी हो रही है। आइए जानते हैं उन प्रमुख फैक्टरों के बारे में जो भाजपा की इस शानदार जीत के पीछे हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में चुनावी अभियान के दौरान अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज कराई। उनके द्वारा किए गए संबोधन और चुनावी रैलियां भाजपा के लिए बड़े मुद्दों पर जनता का ध्यान आकर्षित करने का माध्यम बनीं। मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने दिल्ली के विकास और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर जोर दिया, जो दिल्ली के वोटर्स के बीच सकारात्मक रूप से गूंजे।
केंद्रीय योजनाओं की प्रभावशीलता
भा.ज.पा. ने दिल्ली में केंद्र सरकार की योजनाओं को अहम मुद्दा बनाया। आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन, और उज्जवला योजना जैसी योजनाओं ने दिल्ली के मतदाताओं के बीच भाजपा को मजबूती से स्थापित किया। इन योजनाओं के लाभार्थियों के बीच भाजपा का संदेश पक्का हुआ।
दिल्ली में बढ़ती सुरक्षा चिंता
दिल्ली में बढ़ती सुरक्षा समस्याओं, खासकर अपराध और महिला सुरक्षा पर भाजपा ने जोरदार प्रचार किया। उन्होंने दिल्लीवासियों को विश्वास दिलाया कि वे भाजपा के नेतृत्व में सुरक्षा के मुद्दे को प्राथमिकता देंगे, जिससे एक बड़ा वर्ग भाजपा के पक्ष में आया।
भाजपा की मजबूत चुनावी रणनीति

भा.ज.पा. ने चुनावी रणनीति को और अधिक मजबूत किया। उनके चुनावी अभियान में सोशल मीडिया, प्रचार सामग्री और बूथ स्तर तक पहुंचने की नीति पर जोर दिया गया। पार्टी ने अपने पुराने कार्यकर्ताओं को पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में शामिल किया, जिसका लाभ मिला।
आम आदमी पार्टी के कई बड़े चेहरे पिछड़े

वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) के मुख्यमंत्री उम्मीदवार आतिशी, मनीष सिसोदिया और अन्य प्रमुख नेता अपने-अपने सीटों पर पिछड़ते दिखे। आप का चुनावी अभियान सही दिशा में नहीं बढ़ सका, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ।
भाजपा का दिल्ली में संगठनात्मक आधार
भा.ज.पा. ने दिल्ली में संगठन को मजबूत किया था और पूरे राज्य में पार्टी के कार्यकर्ता चुनावी प्रक्रिया में पूरी तरह सक्रिय रहे। उनके बूथ स्तर पर सक्रियता और समर्थन ने भाजपा के पक्ष में माहौल तैयार किया।
दिल्ली में विरोधी दलों का कमजोर गठबंधन
दिल्ली में भाजपा के सामने विपक्ष का गठबंधन कमजोर साबित हुआ। आप और कांग्रेस के बीच अंदरूनी मतभेद ने भाजपा को विपक्षी वोटों को बांटने में मदद दी। इससे भाजपा को एक बड़ा फायदा हुआ, और इसका परिणाम उनकी विजय के रूप में सामने आया।