Delhi Assembly Elections 2025: हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत के बाद भाजपा ने अब अपनी नजरें दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 पर टिका दी हैं। हालांकि झारखंड में मिली हार से पार्टी को झटका लगा, लेकिन दो राज्यों में भारी जन समर्थन ने पार्टी का मनोबल बढ़ा दिया है। इन जीतों ने लोकसभा चुनाव में भाजपा (BJP) को हुए नुकसान के घावों पर मरहम लगाने का काम किया है। महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के झटके के बावजूद भाजपा ने पूरा दमखम दिखाते हुए सत्ता में वापसी की। अब पार्टी दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) को चुनौती देने के लिए कमर कस रही है। दिल्ली में भाजपा को पिछले दो विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार पार्टी ने चुनावी मैदान में उतरने के लिए व्यापक रणनीति तैयार की है।
विधानसभा में भाजपा की राह कठिन
दिल्ली में लोकसभा चुनावों में भाजपा हमेशा मजबूत प्रदर्शन करती रही है। पिछली तीन लोकसभा चुनावों में पार्टी ने दिल्ली की सातों सीटों पर कब्जा किया है। लेकिन विधानसभा चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन कमजोर रहा है। 2013 के चुनावों में भाजपा ने 32 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी का तमगा हासिल किया, लेकिन सरकार बनाने में असफल रही। 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ तीन सीटें मिलीं, जबकि आप ने 67 सीटों पर जीत दर्ज की। 2020 में भाजपा ने थोड़ा सुधार किया और 8 सीटों पर कब्जा किया, लेकिन आप ने 62 सीटों के साथ फिर से सरकार बनाई।
केजरीवाल के अभियान पर भाजपा की पैनी नजर

भाजपा इस बार दिल्ली में आप के मजबूत चुनावी अभियान से सतर्क है। पार्टी ने अपने सभी सांसदों को उनके लोकसभा क्षेत्रों के तहत आने वाली विधानसभा सीटों पर प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है। सांसदों के प्रदर्शन के आधार पर ही उनकी समीक्षा की जाएगी। पार्टी नेतृत्व को यह भी पता है कि अरविंद केजरीवाल का अभियान काफी आक्रामक हो सकता है। दिल्ली की रेवड़ी राजनीति को देखते हुए भाजपा ने भी इसी दिशा में तैयारी शुरू कर दी है।
परिदृश्य बदला, लेकिन चुनौती जस की तस
इस बार का चुनावी माहौल थोड़ा अलग है। अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद छोड़ चुके हैं और उनकी करीबी आतिशी अब मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रही हैं। हालांकि, पार्टी का चुनावी प्रचार केजरीवाल के इर्द-गिर्द ही घूम रहा है। आतिशी बार-बार यह स्पष्ट करती हैं कि चुनाव के बाद केजरीवाल फिर मुख्यमंत्री बनेंगे। भाजपा ने हाल ही में आप के वरिष्ठ नेता कैलाश गहलोत को अपनी ओर मिलाकर आप को झटका दिया है। साथ ही, आप की सांसद स्वाति मालीवाल के बयानों ने केजरीवाल एंड कंपनी को बैकफुट पर ला दिया है। भाजपा को उम्मीद है कि आप के कुछ और नेता भी पार्टी का दामन थाम सकते हैं।
आप-कांग्रेस गठबंधन पर सस्पेंस बरकरार

दिल्ली में सभी की नजर इस बात पर है कि क्या आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन होगा। हालांकि दोनों दलों के नेताओं की बयानबाजी यह संकेत देती है कि विधानसभा चुनाव में गठबंधन की संभावना कम है। हरियाणा में भी कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन नहीं हो सका था। यदि आप और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है। हालांकि, भाजपा विधानसभा चुनावों में मतदाताओं के अलग मूड को लेकर सतर्क है।
नए वादों से भाजपा बनाएगी माहौल
भाजपा ने दिल्ली में चुनावी माहौल तैयार करने के लिए सभी 70 विधानसभा सीटों पर परिवर्तन यात्राएं निकालने का ऐलान किया है। इसके लिए नौ सदस्यीय समिति बनाई गई है। पार्टी महिला वोटरों को आकर्षित करने के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा कर सकती है। भाजपा का हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का एजेंडा हरियाणा और महाराष्ट्र में सफल रहा है। अब पार्टी इसे दिल्ली में भी भुनाने की तैयारी कर रही है। साथ ही, चुनावी रेवड़ियों का वादा कर आप की रणनीति को जवाब देने की योजना है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 भाजपा के लिए बेहद अहम है।
पार्टी पिछले दो चुनावों में मिली हार का बदला लेने और आप को मात देने की पूरी कोशिश कर रही है। इसके लिए व्यापक रणनीति, मजबूत अभियान, और सटीक उम्मीदवार चयन पर ध्यान दिया जा रहा है। भाजपा को उम्मीद है कि इस बार दिल्ली का सियासी समीकरण बदलेगा और वह विधानसभा चुनावों में भी अपनी जीत का परचम लहराएगी।