Delhi Assembly Election: राजनीतिक दलों के बीच सियासी टकराव तेज, AAP के पांच पार्षद BJP में शामिल

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
AAP | BJP

Delhi Assembly Election: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक दलों के बीच सियासी सेंधमारी की गतिविधियां तेज हो गई हैं। भाजपा ने इस बार आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाते हुए पार्टी के पांच पार्षदों को अपने पक्ष में शामिल कर लिया है। यह घटना विशेष रूप से तब महत्वपूर्ण बन गई जब नगर निगम में स्टेंडिंग कमेटी के चुनाव होने वाले हैं और प्रत्येक पार्षद की अहमियत बढ़ गई है। भाजपा की इस चाल ने आप को एक बड़ा झटका दिया है, विशेषकर ऐसे समय में जब दिल्ली विधानसभा चुनाव भी सामने हैं।

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पार्षद राम चंद्र की वापसी

हालांकि, भाजपा के इस अभियान के केवल पांच दिन बाद, आम आदमी पार्टी को एक राहत मिली है। शाहबाद डेयरी के निगम पार्षद राम चंद्र ने 29 अगस्त को अपने सियासी घर में वापसी की घोषणा की। राम चंद्र ने दावा किया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनके सपने में आकर पार्टी में लौटने का संकेत दिया। यह वापसी आप के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है और भाजपा के प्रयासों को एक झटका देती है।

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भाजपा पर लगाया ‘ऑपरेशन लोटस’ का आरोप

आप ने भाजपा की इस राजनीतिक चाल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगाया है कि भाजपा ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत विधायकों और पार्षदों को खरीदने का प्रयास कर रही है। आप के सांसद संजय सिंह ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने झारखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, अरुणाचल और उत्तराखंड में इसी फॉर्मूला का इस्तेमाल किया है, लेकिन दिल्ली में यह कामयाब नहीं होगा। संजय सिंह ने भाजपा के विधायकों और पार्षदों के ‘अपहरण’ का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा सत्ता के नशे में डूबी हुई है।

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भाजपा का पलटवार

इस पूरे विवाद पर भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आम आदमी पार्टी को हताशा का प्रतीक करार दिया और कहा कि संजय सिंह जैसे नेता जमानत पर हैं, इसलिए उनकी भाषा भी वैसी ही है। वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि आप के पार्षद आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें भ्रष्टाचार और पैसे कमाने के लिए कहा जाता है, जबकि पार्टी के प्रमुख नेता भी कानूनी जटिलताओं में उलझे हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि आने वाले चुनावों में जनता माकूल जवाब देगी।

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सियासी जोड़-तोड़ का खेल

दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले सियासी जोड़-तोड़ का यह खेल केवल एक बार फिर राजनीति के सबसे काले पक्ष को उजागर करता है। पार्टी बदलने या तोड़फोड़ की राजनीति हमेशा से एक विवादित मुद्दा रही है, और यह दिखाता है कि राजनीतिक दल सत्ता की ओर बढ़ने के लिए किस हद तक जा सकते हैं। भाजपा और आप दोनों ही इस खेल में शामिल हैं, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि इस तरह की गतिविधियाँ कितनी दूर तक जाती हैं और क्या जनता इसे लेकर कोई ठोस निर्णय लेगी। राजनीतिक माहौल में यह उथल-पुथल बताती है कि चुनावी समर में ताकतवर दल किस हद तक जाने को तैयार हैं।

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