लखनऊ संवाददाता- mohd kaleem…
लखनऊ: यूपी की साइबर टीम ने तीन साइबर अपराधियों को पकड़कर चौंकाने वाला खुलासा किया है। यह लोग छह वेबसाइट बनाकर फर्जी आधार और पैन कार्ड बनाने की सुविधा साइबर अपराधियों को दे रहे थे, और तीन लोग यहां पर काम कर रहे थे। जहां साइबर अपराधी इन फर्जी आधार व पैन कार्ड से सिम और खाता खुलवाने में प्रयोग करते हैं।
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वहीं कुछ युवा और अनैतिक कार्यों में जुड़े लोग भी काम कर रहे थे। जिन्हें फर्जी आईडी लगाकर अपनी पहचान छिपानी होती थी। यह तीनों साइबर अपराधी वाराणसी साइबर क्राइम थाने में दर्ज पुराने मामले में पकड़े गए, लेकिन जब इनकी क्राइम हिस्ट्री निकाली तो यह खुलासे हुए।
वाराणसी साइबर क्राइम थाना में ठगी…
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एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह ने बताया कि वाराणसी साइबर क्राइम थाना में ठगी करने वालों के खिलाफ दो मुकदमें दर्ज है। जिसमें गिरफ्तार 9 आरोपियों से मिले आईपी एड्रेस और डोमेन के माध्यम से लखनऊ से पूर्वी चंपारण के अफजल आलम और उसके यूपी अमेठी शिवरतनगंज निवासी साथी सुशील कुमार और बिहार मुफस्सिल निवासी इरशाद को पकड़ा गया। पूछताछ में सामने आया कि यह लोग अपना अलग ही फर्जी आधार और पैन कार्ड बनाने का गिरोह चला रहे हैं, जिसमें तीन सदस्य हरिओम, आकाश और सजीत शामिल है। उनकी तलाश के साथ उन पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। इन लोगों ने आठ अलग-अलग यूजर बेसड वेबसाइट बना रखी हैं।
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जिस पर कोई भी व्यक्ति अपना मोबाइल नंबर, ईमेल, नाम आदि डालकर अपना एकाउंट बना सकता है। जिसका बिना वैरीफिकेश एकाउंट एक्टिव हो जाता है। उसके बाद वह किसी का भी आधार और पैन कार्ड नंबर डालकर फर्जी फोटो, फर्जी पता व नाम डालकर फर्जी आधार कार्ड का प्रिंट ले सकता है। प्रिंट लेने वाले से इनको आधार का 20 रूपये और पैन कार्ड का 19 रुपये पेमेंट मिलता था। इसके लिए वह अपना ही एक पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल कर रहे थे।
आकंड़ा चार लाख के आस-पास का है…
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एसपी के मुताबिक इनके पास से मिली डायरी से यह खुलासा हुआ कि हर दिन इनकी वेबसाइट से लगभग एक हजार पैन और आधार कार्ड अपलोड किए जा रहे हैं। वहीं साल में यह आकंड़ा चार लाख के आस-पास का है। यह लोग इसकी मदद से हर साल करीब 75 से 80 लाख रुपये की कमाई कर रहे थे। जानकारी के मुताबिक इनका इस्तेमाल साइबर ठगी कर रहे थे। जो हर सप्ताह अपने खाता और सिम बदलने में प्रयोग कर रहते हैं।
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आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि डार्कवेब और टेलीग्राम पर यूआईडीएआई व एनएसडीएल द्वारा अधिकृत कंपनियों का डाटा हेक कर अपनी वेबसाइट पर डाल देते थे। जिससे इनकी साइट पर आने वाला आसानी से किसी का भी आधार नंबर लेकर फर्जी नाम, फोटो और पते से नकली डाक्यूमेंट तैयार कर लेता।
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पंश्चिम बंगाल और अन्य प्रदेश की विभिन्न कम्पनियों में कार्य कर चुका है..
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साइबर अपराधी अफजल ने यू-ट्यूब से साइबर फ्राड का काम सीखा और गिरोह बनाया गया। उसके साथ गिरफ्तार सुशील कुमार के साथ वेबसाइट www.harshitprint.com से फर्जी पैन व आधार का ठगी का खेल शुरू किया। यह वेबसाइट की तरह सेम मैकेनिज्म पर कार्य करती है। वहीं इसका साथी इरशाद इनकी फर्जी वेबसाइटों तथा सर्वर का रख-रखाव व मेंटेनेंस का काम करता है। इरशाद पहले से ही सॉफ्टवेर डेवलपिंग कम्पनी में प्रोग्रामर के रूप में पंश्चिम बंगाल और अन्य प्रदेश की विभिन्न कम्पनियों में कार्य कर चुका है तथा वेबसाइट, मोबाइल एप्लीकेशन व अन्य प्रकार की वेब doveloping के कार्यों में दक्ष है। वहीं इसके फरार साथी साइबर अपराध से जुड़े लोगों को डाटा और अपनी वेबसाइट से जुड़े कामों को बताते हैं।
इन फर्जी वेवसाइट से कर रहे थे खेल…
- www.digitalfastprint.co.in www.digitalfastprint.online
- www.digitalfastprint.in
- www.reprintportal.xyz
- www.digitalportal.in
- www.harshitprint.com
7 मई को वाराणसी जोन की टीम ने बिहार जहानाबाद के चन्दन यादव, दीपक यादव पुत्र रामाशीष यादव निवासी मकदूमपुर थाना मकदूमपुर जहानाबाद बिहार किया था। इन लोगों ने फर्जी आधार कार्ड और पैनकार्ड का इस्तेमाल कर देश के विभिन्न प्रदेशों में फर्जी बैंक खाता और सिम कार्ड जारी कराकर धोखाधड़ी की थी। तभी से टीम इनके अन्य सदस्यों के विषय में जानकारी जुटा रही थी। www.digitalportal.in के माध्यम से फर्जी आधार और पैनकार्ड बनाते थे। जिसमे आधार नम्बर, नाम, पता, फोटो और हस्ताक्षर भी दूसरे लोगों के होते थे। जिनका साइबर अपराध करने मे प्रयोग किया जाता था।
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वाराणसी टीम ने ठगों के पास से मिले फर्जी वेबसाइट के डोमेन एड्रेस, एसएसएल लाग्स, कन्ट्रोल पैनल लॉग्स, पेमेन्ट गेटवे और अन्य जानकारियों की मदद से बिहार सिवान के गौतमबुद्धनगर के पंकज यादव को 24 जून को गिरफ्तार किया गया।