भारत में जनवरी 2025 के महीने में खुदरा महंगाई (CPI) में राहत मिली है, और यह 5 महीने में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में सीपीआई इन्फ्लेशन 5% के नीचे आ गया है, जो कि पिछले कई महीनों के मुकाबले बहुत बड़ी कमी है। महंगाई में यह गिरावट विभिन्न कारकों की वजह से हुई है, और इससे आम आदमी को कुछ राहत मिली है।
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महंगाई दर में गिरावट का कारण

जनवरी में महंगाई दर 5% के नीचे आने की वजह मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट है। खासकर दालों, तेल, और सब्जियों की कीमतों में कमी ने महंगाई को नियंत्रण में रखा है। इसके अलावा, रेट तेल की कीमतों में भी गिरावट आई है, जिससे ट्रांसपोर्टेशन और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें स्थिर हुई हैं।इसके साथ ही, उद्योगों में उत्पादन की स्थिति में सुधार और आपूर्ति श्रृंखला के मामलों में सुधार भी महंगाई दर को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक रहे हैं। मानसून के अच्छे होने की वजह से कृषि उत्पादों की आपूर्ति में वृद्धि हुई है, जिसने खाद्य वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित किया है।
महंगाई में गिरावट से आम आदमी को राहत
महंगाई में कमी का सबसे बड़ा फायदा आम आदमी को हुआ है, क्योंकि इससे घरेलू बजट में राहत मिल रही है। खाना-पीना और दैनिक उपयोग की चीजों की कीमतों में गिरावट से उपभोक्ताओं को राहत मिली है। इसके साथ ही, इससे कर्जदारों पर भी दबाव कम हुआ है, क्योंकि महंगाई का बढ़ना ब्याज दरों में वृद्धि की वजह बनता है।

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RBI की नीति और भविष्य की उम्मीदें
महंगाई में कमी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति का भी परिणाम है, जिसमें केंद्रीय बैंक ने दरों में वृद्धि को रोक दिया था। इस गिरावट के बाद, उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति में सख्ती की जगह नरमी अपना सकता है, जिससे ब्याज दरों में भी राहत मिल सकती है।आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि, यह गिरावट एक सकारात्मक संकेत है और भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में मदद कर सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि महंगाई में यह गिरावट अस्थायी हो सकती है, खासकर जब वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव होता है।