Anurag Thakur Speech controversy: मंगलवार को संसद में हंगामे का दौर अभी भी जारी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) और विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी इस विवाद में कूद पड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुराग ठाकुर के भाषण की तारीफ की और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिससे विवाद और बढ़ गया।
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अनुराग ठाकुर के बयान पर कांग्रेस का आक्रोश
कांग्रेस ने अनुराग ठाकुर के विवादित बयान को सोशल मीडिया पर शेयर करने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस के कई नेताओं ने अनुराग ठाकुर से माफी की भी मांग की थी। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा, “बजट चर्चा के दौरान भाजपा नेताओं द्वारा की गई असंवेदनशील और क्रूर टिप्पणियों के खिलाफ संसद के अंदर विरोध प्रदर्शन किया गया। जाति जनगणना एक बहुत ही भावनात्मक मुद्दा है और एससी-एसटी, ओबीसी के कई लोग इसे चाहते हैं, लेकिन भाजपा ने उनकी मांग का मजाक उड़ाया। हम उनके अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।”
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गिरिराज सिंह का बयान
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अनुराग ठाकुर के बयान का बचाव करते हुए कहा, “अनुराग ठाकुर ने पूछ कर क्या गुनाह कर दिया? सही तो पूछा। अगर कोई मुझसे जाति पूछे तो मुझे कोई दिक्कत नहीं। मैं पूछता हूं कि राहुल गांधी, आपकी जाति क्या है, लेकिन वह अपनी जाति नहीं बताएंगे। इनका उद्देश्य सनातन को तोड़ना है। मां और बेटे (सोनिया गांधी और राहुल गांधी) मिलकर भारत के सनातन को खंडित करना चाहते हैं।”
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पीएम मोदी का समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुराग ठाकुर के भाषण की सराहना की और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया। इससे कांग्रेस का आक्रोश और बढ़ गया। कांग्रेस का कहना है कि यह वीडियो शेयर करना विशेषाधिकार हनन है और इसके लिए प्रधानमंत्री को जवाब देना होगा। इस विवाद ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि भारतीय राजनीति में जाति और धर्म के मुद्दे कितने संवेदनशील हैं। संसद में इस तरह की नोकझोंक और बयानबाजी से जनता का विश्वास नेताओं पर कम हो सकता है।
राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे संवेदनशील मुद्दों पर जिम्मेदारी से बयान दें और इस तरह के विवादों से बचें। देश को एकजुट रखने के लिए नेताओं को सकारात्मक और समावेशी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। संसद को जनहित के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए न कि व्यक्तिगत हमलों और जातिगत टिप्पणी पर। लोकतंत्र में स्वस्थ बहस और संवाद की आवश्यकता है, जिससे देश की प्रगति हो सके।
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