Ram Mandir गर्भगृह में पानी टपकने की शिकायत, मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्रदास ने जताई चिंता

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
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Ram Mandir: अयोध्या (Ayodhya) के नवनिर्मित राम मंदिर के गर्भगृह में बरसात का पानी टपकने की शिकायत ने व्यापक चर्चा पैदा की है। यह चिंता किसी और की नहीं बल्कि रामलला (Ramlalla) के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास ने व्यक्त की है। उन्होंने मंदिर के निर्माण कार्य में लापरवाही का आरोप लगाते हुए बताया कि पहली बारिश में भी मंदिर की छत से पानी का रिसाव हुआ था। उस समय भी उन्होंने विरोध किया था जिसके बाद समस्या का समाधान हुआ था। लेकिन अब फिर से पानी टपकने लगा है।

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समाधान की कोशिश

आचार्य सत्येंद्रदास ने कहा कि रामलला के भव्य और दिव्य मंदिर के निर्माण में देश के प्रमुख इंजीनियर लगे हैं, बावजूद इसके यह हाल है। उन्होंने कहा कि मंदिर की छत से पानी टपकना हैरानी की बात है। प्री-मानसून की पहली बारिश में भी मंदिर की छत से पानी का तेज रिसाव हुआ था। उस समय भी उन्होंने विरोध के बाद सुधार कराया था। अब फिर से गर्भगृह के बाहर वीआईपी दर्शन स्थल पर पानी का रिसाव हो रहा है।

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रामपथ पर भी संकट

मंदिर के गर्भगृह के सामने दर्शन स्थल पर नए पुजारी बैठते हैं और वीआईपी दर्शन होता है, वहां पानी भर गया है। आचार्य सत्येंद्रदास के विरोध के बाद ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने इंजीनियरों और अधिकारियों के साथ बैठक की और समस्या के समाधान पर विचार किया। उधर, प्री-मानसून की हल्की बारिश में ही राम पथ की सड़क 11 जगहों पर धंस गई है। इस सड़क का काम हाल ही में पूरा हुआ था। सहादतगंज से नया घाट तक लगभग 13.5 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर गहरे गड्ढे हो गए हैं।

पीडब्ल्यूडी ने सहादतगंज, हनुमानगढ़ी, रिकाबगंज आदि स्थानों पर सड़क धंसने वाली जगह पर गिट्टी और मिट्टी डालकर निर्माण कार्य में हुई अनियमितता को छिपाने की कोशिश की है।

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तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का स्पष्टीकरण

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम भक्तों की चिंता को दूर करते हुए स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया। ट्रस्ट के सदस्य और राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने कहा कि पानी टपकने की बातें निराधार हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण में कोई खामी नहीं है। उन्होंने बताया कि मंदिर के द्वितीय तल पर गूढ़ मंडप का निर्माण अभी चल रहा है और उसका शिखर पूरी तरह से निर्मित न होने तक पानी की कुछ छींटे भूतल तक आ सकती हैं, लेकिन पानी टपकने की बात गलत है।

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वाटर प्रूफिंग का काम 20% बाकी

मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष ने कहा कि गर्भगृह में जलनिकासी की व्यवस्था है। भक्तों को भगवान तक जल लेकर जाने की अनुमति नहीं है। गर्भगृह में जब भगवान का अभिषेक, स्नान और आचमन होता है, तो पुजारी उसे कपड़े से साफ करते रहते हैं। सोमवार को ही मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक के समापन अवसर पर बात करते हुए तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक अन्य सदस्य डॉ. अनिल मिश्र ने कहा कि प्रथम तल की फर्श का कुछ काम बाकी है। वाटर प्रूफिंग का भी 20 प्रतिशत काम बाकी है और बिजली की वायरिंग के लिए जगह-जगह छिद्र किए जाने पड़ रहे हैं। यह समस्या तात्कालिक है और जल्द ही इसका समाधान कर लिया जाएगा।

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