Chronic Heart Failure: आजकल की बदलती जीवनशैली, तनाव और खानपान की आदतों के कारण हृदय संबंधी बीमारियों में तेजी से वृद्धि हो रही है। इन्हीं में से एक गंभीर स्थिति है क्रॉनिक हार्ट फेलियर (Chronic Heart Failure)। यह तब होता है जब हृदय शरीर की जरूरत के अनुसार पर्याप्त रक्त पंप करने में असमर्थ हो जाता है। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और प्रारंभिक लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि अक्सर लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं, जो आगे चलकर जानलेवा बन सकते हैं।
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जानें इसके लक्षण

क्रॉनिक हार्ट फेलियर के पहले चरणों में कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाई देते। लेकिन जैसे-जैसे हृदय की कार्यक्षमता घटती है, इसके लक्षण शरीर के विभिन्न हिस्सों में उभरने लगते हैं। इसमें लगातार थकान, पैरों और घुटनों में सूजन, रात में बार-बार पेशाब आने की समस्या, सांस लेने में तकलीफ, सीने में भारीपन या जकड़न, घरघराहट, और अनियमित हृदयगति जैसे लक्षण शामिल हैं। इन संकेतों को हल्के में न लें और तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से सलाह लें।
क्या यह पुरुषों में ज्यादा होता है?
यह धारणा आम है कि क्रॉनिक हार्ट फेलियर पुरुषों में ज्यादा होता है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है। 45 वर्ष की आयु से पहले पुरुषों में इस रोग का खतरा महिलाओं की तुलना में अधिक होता है। उस उम्र तक इसका अनुपात 7:3 होता है। लेकिन 50 साल के बाद यह अनुपात बराबरी पर आ जाता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उम्र के साथ स्त्री पुरुष दोनों में ही जोखिम समान हो जाता है।
क्रॉनिक हार्ट फेलियर
इस बीमारी को चार चरणों (Type 1 से Type 4) में बांटा गया है। टाइप 1 शुरुआती अवस्था होती है जहां दवाओं से सुधार संभव होता है। टाइप 2 और 3 में स्थिति गंभीर होती है जहां दवाओं के साथ सर्जरी की भी जरूरत पड़ती है।
टाइप 4 सबसे गंभीर अवस्था मानी जाती हैं जिसमें ह्रदय की कार्यक्षमता लगभग 85-90% तक समाप्त हो जाती है। इस स्थिति में हार्ट ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प होता है। अगर हृदय 50% तक प्रभावित हो चुका है तो समय रहते इलाज से मरीज सामान्य जीवन जी सकता है, लेकिन 65% से अधिक नुकसान पर खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
बचाव के उपाय
क्रॉनिक हार्ट फेलियर से बचाव संभव है, बशर्ते आप अपनी जीवनशैली में बदलाव करें। इसके लिए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें। नमक का सेवन सीमित करें, धूम्रपान और शराब से दूर रहें, रोजाना थोड़ा व्यायाम करें और स्ट्रेस से बचें, दिनभर में 2 लीटर से अधिक तरल न लें,संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करें।

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