Chhath Puja 2024: लोक आस्था के महापर्व का आज तीसरा दिन, जानिए संध्या अर्घ्य समय और पूजा विधि…

छठ पूजा (Chhath Puja) का तीसरा दिन है, जब संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) दिया जाएगा. इस दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करते हैं, जिससे यह पर्व विशेष महत्व रखता है

Aanchal Singh
By Aanchal Singh
संध्या अर्घ्य

Chhath Puja 2024: लोक आस्था के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. ये चार दिनों का त्योहार है जो कि आस्था और निष्ठा से माना जाता है. इस पर्व में व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं और संपूर्ण समर्पण के साथ सूर्यदेव और छठी मैया की आराधना करते हैं .आज छठ पूजा (Chhath Puja) का तीसरा दिन है, जब संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya) दिया जाएगा. इस दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करते हैं, जिससे यह पर्व विशेष महत्व रखता है.

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संध्या अर्घ्य की पूजा विधि

बताते चले कि, संध्या अर्घ्य के दिन, व्रती शाम के समय घाट या नदी के किनारे पूजा के लिए एकत्रित होते हैं. बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल, गन्ना, और अन्य पूजन सामग्री रखी जाती है. सूर्यदेव को अर्घ्य देने के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण करना बहुत शुभ माना जाता है. यह मंत्र व्रतियों को छठी मैया की कृपा प्राप्त करने और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक होते हैं.

संध्या अर्घ्य का समय

पंचांग के अनुसार,आज सूर्यास्त का समय शाम 5:28 बजे है, जो संध्या अर्घ्य के लिए उपयुक्त माना गया है. अगले दिन, 8 नवंबर को उषा अर्घ्य दिया जाएगा, जो सूर्योदय के समय होता है. सूर्योदय का समय सुबह 6:32 बजे निर्धारित किया गया है.

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संध्या अर्घ्य में उच्चारित किए जाने वाले मंत्र

सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय कुछ विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है. इन मंत्रों में सूर्यदेव के निम्न मंत्र का जाप किया जा सकता है:

  • ओम घृणि: सूर्याय नमः
  • ओम आदित्य भास्कराय नमः
  • ओम सूर्याय नमः
  • ओम जपा कुसुम संकाशं: काश्यपेयं महाद्युतिम्, ध्वंतारी सर्व पाप बहना. प्रणतोऽस्मि दिवकरम

अगर किसी को मंत्र का पूर्ण उच्चारण कठिन लगे, तो सूर्य देव के कुछ नामों का उच्चारण कर अर्घ्य दिया जा सकता है. इससे भी अर्घ्य पूर्ण माना जाता है और भक्तों की श्रद्धा का सम्मान किया जाता है.

सूर्यदेव को अर्घ्य देने की प्रक्रिया

छठ पूजा के तीसरे दिन(Chhath Puja) संध्या अर्घ्य के समय, व्रती सूर्यदेव को लाल चंदन और लाल रंग के फूल अर्पित करते हैं. पूजा की थाली में दीपक जलाकर और लोटे में जल भरकर उसमें एक चुटकी लाल चंदन और लाल रंग के फूल डाले जाते हैं. तांबे के लोटे में जल अर्पण करते समय ॐ सूर्याय नमः मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. इस दौरान अर्घ्य देते समय व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की ओर होना आवश्यक है, जिससे सूर्यदेव को अर्घ्य देना अधिक प्रभावशाली माना जाता है.

धार्मिक मान्यता और सूर्य मंत्र की शक्ति

धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्यदेव के हर मंत्र में अत्यंत शक्ति होती है, और नियमित जाप से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होते हैं. इनमें से “ॐ भास्कराय नमः” को अत्यधिक शक्तिशाली माना गया है, और इसे नियमित रूप से जपने से सूर्यदेव की विशेष कृपा बनी रहती है. छठ पूजा के इस पवित्र पर्व में श्रद्धालु संपूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ सूर्यदेव की उपासना करते हैं और उनकी कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं.

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