Chhangur Baba: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में अवैध धर्मांतरण के आरोपित छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन की आलीशान कोठी पर प्रशासन का बुलडोजर तीसरे दिन भी जारी रहा। सरकारी जमीन पर कब्जा कर बनाई गई इस मजबूत इमारत को गिराने के लिए जेसीबी मशीनें भी जूझती नजर आईं।
बाबा की कोठी बनी प्रशासन की चुनौती
प्रशासन को यह कोठी गिराने में मुश्किल इसलिए हो रही है क्योंकि इसमें 10 से 15 मिलीमीटर मोटी सरिए और पुलों में उपयोग होने वाले कंक्रीट मटेरियल का इस्तेमाल किया गया था। निर्माण इतना मजबूत था कि इसे ढहाने में जेसीबी मशीनों को भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
सुरक्षा के नाम पर बनाए गए हाईटेक इंतजाम
छांगुर बाबा की कोठी किसी आलीशान महल से कम नहीं थी। इसमें सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछा हुआ था, निजी पावर प्लांट, दर्जनों सोलर पैनल और कटीले तारों से घिरी बाउंड्री थी, जिसमें करंट भी दौड़ता था। इसके जरिए कोई भी बाहरी व्यक्ति भीतर घुसने की हिम्मत न कर सके।
कोठी के भीतर गुप्त कंट्रोल रूम
इस हाईटेक कोठी में एक गुप्त कंट्रोल रूम भी बनाया गया था, जो बाबा के बेडरूम के भीतर था। इसी कमरे से पूरे परिसर के कैमरों की निगरानी की जाती थी और अंदर आने वाले हर व्यक्ति की रिकॉर्डिंग रखी जाती थी।
एटीएस के शिकंजे में छांगुर बाबा और उसकी साथी
बीते शनिवार को उत्तर प्रदेश एटीएस ने छांगुर बाबा और उसकी करीबी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को बलरामपुर से गिरफ्तार किया था। बाबा के खिलाफ पहले से गैर-जमानती वारंट जारी था और उस पर ₹50,000 का इनाम भी घोषित था। गिरफ्तारी के बाद दोनों को कोर्ट में पेश किया गया और अब लखनऊ जिला जेल में रिमांड पर भेजा गया है।
पहले भी दो आरोपी हो चुके हैं गिरफ्तार
इस मामले में पहले ही 8 अप्रैल को दो और आरोपियों — नसरीन का पति जमालुद्दीन और बाबा का बेटा महबूब — को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। ये दोनों भी बलरामपुर के ही निवासी हैं और वर्तमान में लखनऊ जेल में बंद हैं।
एटीएस को कई अहम सुरागों की तलाश
सूत्रों के मुताबिक, अब एटीएस की टीम आरोपियों से पूछताछ के दौरान कई अहम सवालों के जवाब तलाशेगी। जैसे – इस अवैध धर्मांतरण गिरोह को फंडिंग कहां से मिल रही थी? अब तक कितने लोगों का धर्म परिवर्तन कराया गया? यह नेटवर्क किन-किन राज्यों में सक्रिय है? क्या इसके पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है? क्या खाड़ी देशों में इनकी किसी से मुलाकात हुई?