Chaturmas 2025: सनातन धर्म में वैसे तो हर दिन और हर महीना महत्वपूर्ण होता है। लेकिन चातुर्मास के दिनों को खास माना गया है, जो कि पूरे चार महीनो तक चलता है। पंचांग के अनुसार चातुर्मास आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से आरंभ हो जाता है और यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर समाप्त होता है।
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मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने बाद देवउठनी एकादशी पर जागते हैं। इन चार महीनों को ही चातुर्मास के नाम से जाना जाता है। जिन्हें भक्ति, व्रत और तपस्या के लिए उत्तम समय माना गया है।

इन चार महीनों में किसी भी तरह का शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। चातुर्मास के दिनों में कई सारे नियमों का पालन करना होता है, मान्यता है कि इन नियमों का पालन किया जाए तो पुण्य की प्राप्ति होती है।
चातुर्मास में भूलकर भी न करें यह काम
काले वस्त्र
इन चार महीनों में भूलकर भी काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। इस दौरान सफेद, पीले या हल्के रंगों का प्रयोग शुभ माना जाता है।
उड़द और चने का त्याग
चातुर्मास के दिनों में उड़द और चने का सेवन करना वर्जित माना जाता है। मान्यता है कि इससे शरीर रोगों से मुक्त रहता है।
गुड़ का सेवन
चातुर्मास के दिनों में गुड़ का त्याग करने से जीवन में मधुरता और सकारात्मकता आती है। साथ ही कष्टों का भी निवारण हो जाता है।
तेल का त्याग
आपको बता दें कि चातुर्मास के दिनों में तेल का त्याग करने से दीर्घायु और उत्तम संतान प्राप्त होती है।
दूध, दही से परहेज
इस दौरान दही और दूध का त्याग करने वालों को गोलोक की प्राप्ति होती है, साथ ही जीवन के कष्टों का भी निवारण हो जाता है।
पलाश के पत्तों में भोजन
जो लोग चातुर्मास में पलाश के पत्तों में भोजन करता है, उसमे रूप, तेज और सौंदर्य की प्राप्ति होती है।

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