Wakf Board: केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही वक्फ बोर्ड अधिनियम में कई बड़े बदलाव कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने वक्फ बोर्ड पर लगाम लगाने की तैयारी शुरू कर दी है और इसके संशोधन को भी मंजूरी दे दी गई है। यह बिल अगले हफ्ते संसद में पेश किया जाएगा, जिसमें कई संशोधन हो सकते हैं। इन संशोधनों के तहत वक्फ बोर्ड (Wakf Board) की शक्तियों को कम किया जाएगा।
वक्फ बोर्ड का इतिहास
1995 में नरसिम्हा राव की सरकार के दौरान वक्फ बोर्ड की पावर बढ़ाई गई थी। उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने इस अधिनियम में कई बदलाव किए थे। सबसे पहले वक्फ बोर्ड अधिनियम 1954 में संसद से पारित हुआ था। इसके बाद 1995 में और 2013 में इसमें संशोधन किए गए, जिसके बाद वक्फ को असीमित शक्ति और पूर्ण स्वायत्तता मिल गई थी।
वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन
वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करता है, जो मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए दी गई संपत्ति है। वक्फ संपत्ति और उससे हुए मुनाफे को हर राज्य का वक्फ बोर्ड प्रबंधन करता है। 1954 में जवाहरलाल नेहरू सरकार ने वक्फ अधिनियम पारित किया था और 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की थी। 1995 में, प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्ड के गठन की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन किया गया।
Read more: आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर दर्दनाक हादसा, डबल डेकर बस और कार की टक्कर में 7 की मौत, 50 घायल
वक्फ बोर्ड की जिम्मेदारियां और चुनौतियाँ
वक्फ बोर्ड यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि वक्फ संपत्ति से उत्पन्न आय का उपयोग मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए किया जाए। बिहार जैसे राज्यों में अलग-अलग शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड हैं। वक्फ बोर्ड के पास करीब 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल करीब 9.4 लाख एकड़ है। देश भर में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 वक्फ बोर्ड हैं।
वक्फ बोर्ड अपनी विशाल संपत्तियों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। बढ़ती कानूनी लड़ाइयां, आंतरिक अराजकता और राजनीतिक गर्माहट ने वक्फ बोर्ड को घेर रखा है। अतिक्रमणकारियों और भ्रष्टाचारियों के कई आरोप लग चुके हैं। कानूनी मामलों, कर्मचारियों की भारी कमी, राजनीतिक नियुक्तियों, बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और दुखद ध्वस्तीकरण से वक्फ बोर्ड आंतरिक रूप से जूझ रहा है।
वक्फ बोर्ड के बड़े दावे
वक्फ बोर्ड पर भूमि और सार्वजनिक स्थानों को वक्फ बनाकर अधिग्रहित करने के भी आरोप हैं। सशस्त्र बलों और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड भारत में तीसरे सबसे बड़े भूमि मालिक बने हुए हैं। WAMSI पोर्टल पर 58,000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज की गई हैं। राज्य बोर्डों में 12,700 से ज्यादा मामले लंबित हैं, न्यायाधिकरणों में 18,400 से ज्यादा मामले और SC/HC में 165 से ज्यादा मामले लंबित हैं।
Read more: Ayodhya Gang rape case पर मचा सियासी बवाल, अखिलेश यादव ने सरकार पर साधा निशाना… करी ये मांगें
दिल्ली वक्फ बोर्ड विवाद
2023 में दिल्ली वक्फ बोर्ड सवालों के घेरे में आया। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया। इनमें कई ऐतिहासिक मस्जिदें, मध्यकालीन दरगाह और कब्रिस्तान शामिल हैं। दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने इन स्मारकों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से कोई प्रतिनिधित्व या आपत्ति प्राप्त नहीं हुई।
Read more: अब लखनऊ की ध्येय IAS कोचिंग में टला बड़ा हादसा, एक घंटा लिफ्ट में फंसे रहे दो छात्र
वक्फ बोर्ड की प्रतिक्रिया
दिल्ली वक्फ बोर्ड ने समिति के तर्क पर विवाद करते हुए कहा कि इससे मुस्लिम समुदाय में “व्यापक दहशत, भय और क्रोध” पैदा हुआ है। वक्फ बोर्ड ने फैसले को खारिज किया और निंदा की। बोर्ड ने दावा किया कि संपत्तियां हमारी देखरेख में हैं और ऐसी ही रहेंगी। केंद्र सरकार के वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव ने राजनीतिक गर्माहट को बढ़ा दिया है। वक्फ बोर्ड के पास देश भर में बड़े पैमाने पर संपत्तियां हैं, जिनका सही प्रबंधन और उपयोग सुनिश्चित करना जरूरी है। संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियों में कटौती होने की संभावना है, जिससे उसके कार्यों और जिम्मेदारियों में बड़ा बदलाव आ सकता है।