आरक्षण को लेकर मणिपुर में फिर भड़की जातीय हिंसा

Sharad Chaurasia
By Sharad Chaurasia
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  • मणिपुर हिंसा

मणिपुरः एक बार फिर मणिपुर में मैतई, नगा और कुकी समुदाय के बींच पहले से आरक्षण को लेकर कई बार हिंसा भड़क चुकी है। मैतई ज्यादातर हिन्दू है। मैतई मुस्लमान भी है। जनसंख्या में भी मुस्लमान सबसे ज्यादा है। नगा और कुर्की ज्यादातर ईसाई है। नगा और कुर्की दोनों जनजाति में आते है।

मणिपुर हिंसा का कारणः

बता दें मणिपुर में तीन समुदायों के नगा , कुर्की, और मैतई के बींच आरक्षण को लेकर विवाद हो रहा है। मैतई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। इस समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में एक याचिका भी ड़ाली थी। मैतई समुदाय की मांग है कि 1949 में मणिपुर का विलय हुआ था। और उससे पहले मैतई समुदाय को जनजाति का दर्जा मिला था।

इनकी दलील है कि इस समुदाय को उनके पूर्वजों की जमीन परंपरा, संस्कृति और भाषा की रक्षा के लिए मैतई को जनजाति का दर्जा जरुरी है। लेकिन और जो जनजातियॉ है वो मतई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रही है। इन जनजातियों का कहना है कि मैतई जनसंख्या में भी अधिक है। और राजनीति में उनका सबसे ज्यादा दबदबा है। जनजाति को कहना है कि मैतई समुदाय आदिवासी नही है।

उधर काग्रेंस न राज्य में चल रही हिंसा पर कहा – मणिपुर की लोगो की उपेक्षा का हर दिन इस विश्वास  की पुष्टि करता है। भाजपा इस संघर्ष को और लंबा खींचना चाहता है।

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