क्या Passive Smoking नॉन-स्मोकर्स को बना सकती है COPD का शिकार? जानिए इस बीमारी के कारण…

Mona Jha
By Mona Jha

Passive Smoking : आज के बदलते परिवेश में युवाओं के लिए स्मोकिंग करना एक आम बात हो गई है.अगर आप अपने चारों ओर नजर दौड़ाकर देखें तो स्मोकिंग करना एक बहुत सामान्य सी बात हो चुकी है.हमारे चारों ओर कई लोग स्मोकिंग करते नजर आ ही जाते हैं..स्मोकिंग करना हमारी सेहत के लिए अनेक कारणों से हानिकारक होता है. इसकी वजह से कई स्वास्थ्य समस्याएँ आपको दिक्कत में डाल सकती हैं.इन्हीं समस्याओं में से एक है COPD (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) जो इन दिनों Non-Smokers को भी अपना शिकार बना रही है।

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COPD होने के प्रमुख और संभावित कारण क्या हैं?

वर्तमान में स्मोकिंग कई लोगों के लिए एक महत्त्वपूर्ण लाइफस्टाइल फैक्टर बन चुका है.धूम्रपान सेहत के लिए अत्यधिक हानिकारक होता है,जिससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं.COPD (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) इन्हीं समस्याओं में से एक है जिससे वर्तमान में कई लोग प्रभावित हो रहे हैं.स्मोकिंग करने वालों को इस बीमारी का सामना करना पड़ता है लेकिन ये समस्या अब नॉन-स्मोकर्स को भी अपनी जद में ले रही है.नॉन-स्मोकर्स में COPD होने के प्रमुख और संभावित कारण क्या हैं?आइए जानते हैं…..

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नॉन-स्मोकर्स में COPD के कारण

Smoking Can Cause Severe Lung Disease COPD

क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) कई कारणों से धूम्रपान न करने वालों को प्रभावित कर सकता है.इनमें पर्यावरणीय प्रदूषकों का महत्त्वपूर्ण योगदान है.जैसे कि….रसायन, धूल और औद्योगिक धुआं.इसके अलावा अन्य एक रिस्क फैक्टर बायोमास फ्यूल के उपयोग से होने वाला इनडोर वायु प्रदूषण भी है जो खाना पकाने और हीटिंग के लिए खराब वेंटिलेशन वाले स्थानों में होता है.कुछ लोग जेनेटिक कारणों से भी COPD के प्रति संवेदनशील होते हैं. COPD विकसित होने के अन्य कारण में बचपन में रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन, अस्थमा या अन्य पुरानी रेस्पिरेटरी डिजीज का परिवारिक इतिहास भी शामिल है.इसके अलावा यहाँ इनडायरेक्ट यानी पैसिव स्मोकिंग के कारण भी इस बीमारी का जोखिम काफी बढ़ जाता है।

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कैसे बढ़ता है COPD का खतरा?

पैसिव स्मोकिंग COPD के विकास में एक साइलेंट कारक हो सकती है.यs फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है और जीवन की गुणवत्ता भी कम हो जाती है.स्मोकिंग और पैसिव स्मोकिंग COPD के विकास का एक व्यापक जोखिम कारक होते हैं जिससे इसकी संभावना 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है.धूम्रपान न करने वाले लोग जो नियमित रूप से अपने घरों या कार्यस्थलों में विशेष रूप से बंद वातावरण में स्मोकिंग के संपर्क में आते हैं वे असुरक्षित होते हैं.इसके साथ ही उनमें COPD और फेफड़ों के कैंसर जैसे स्मोकिंग से जुड़े अन्य दुष्प्रभाव विकसित होने की संभावना भी ज्यादा होती है।

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साइडस्ट्रीम स्मोक ज्यादा हानिकारक

सिगरेट की नोक से निकलने वाला 85% साइडस्ट्रीम धुआं पैसिव स्मोकर्स द्वारा अंदर लिया जाता है जबकि सिगरेट का मेनस्ट्रीम धुंआ केवल 15% धूम्रपान करने वालों द्वारा अंदर लिया जाता है और छोड़ा जाता है.पैसिव स्मोकर्स द्वारा लिया जाने वाला साइडस्ट्रीम धुआं मेनस्ट्रीम धुआं की तुलना में अधिक जहरीला होता है और इन दोनों में कार्सिनोजेन और रेस्पिरेटरी टॉक्सिन्स सहित 4,000 से अधिक रासायनिक कंपाउंड्स पाए जाते हैं.

कई अध्ययनों में मेनस्ट्रीम धुआं और तीन रेस्पिरेटरी समस्याओं (अस्थमा, निचले श्वसन प्रणाली के संक्रमण और COPD) के बीच सम्बंध देखा गया है.पैसिव स्मोकिंग के अधिक संपर्क से COPD का जोखिम भी बढ़ जाता है. इसलिए इससे बचने के लिए अपने घर या आसपास धूम्रपान न करें और स्मोकिंग करने वालों को रोके भी….स्मोकिंग-फ्री नीतियों के माध्यम से सभी को धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों से बचाना चाहिए।

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ऐसे करें COPD बचाव

  1. सीओपीडी के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए लोगों में जागरुकता बढ़ाना सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है.
  2. कार्सिनोजेन से बचने के लिए वर्कप्लेस या सार्वजनिक स्थानों में स्मोकिंग एरिया का प्रयोग करना चाहिए.
  3. स्मोकिंग करने वालों को ये ध्यान में रखना चाहिए कि,वे अपने परिवार के अन्य सदस्यों और बच्चों के सामने स्मोकिंग न करें.
  4. कोई भी दवा सीओपीडी की बढ़ती संख्या को रोकने में सक्षम नहीं हो सकती.अगर किसी को सीओपीडी हो जाता है तो उसका इलाज संभव है लेकिन जागरूकता ही इसे रोकने का एकमात्र उपाय है.
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