Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज (1 फरवरी) बजट पेश करने के लिए जब घर से वित्त मंत्रालय के लिए रवाना हुईं, तो वह एक विशेष साड़ी में दिखी, जिस पर मधुबनी कला का अद्भुत डिजाइन था। इस साड़ी को पहनकर वित्त मंत्री ने न केवल मधुबनी कला के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया, बल्कि इसका प्रचार-प्रसार करने का भी स्पष्ट संकेत दिया।
दुलारी देवी से मुलाकात

बताते चले कि यह साड़ी विशेष रूप से वित्त मंत्री को दुलारी देवी द्वारा भेंट की गई थी। जब निर्मला सीतारमण मधुबनी में क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम के लिए पहुंची थी, तब उनकी मुलाकात दुलारी देवी से हुई थी। इस मुलाकात के दौरान दोनों के बीच मिथिला कला पर एक सार्थक और सौहार्दपूर्ण चर्चा हुई थी। दुलारी देवी ने वित्त मंत्री को एक साड़ी भेंट की थी और उन्हें यह साड़ी बजट के दिन पहनने की सलाह दी थी। इस प्रकार, दुलारी देवी की कला को सम्मान देते हुए वित्त मंत्री ने इस विशेष अवसर पर उस साड़ी को पहना।
साड़ी का डिजाइन और उसकी विशेषताएं
निर्मला सीतारमण ने जिस साड़ी को चुना, वह पारंपरिक सोने की बॉर्डर वाली क्रीम रंग की साड़ी थी, जिसे लाल रंग के कंट्रास्टिंग ब्लाउज के साथ पहना गया। इस साड़ी का डिजाइन मधुबनी कला से प्रेरित था, जिसमें जटिल ज्यामितीय पैटर्न और प्रकृति से जुड़ी आकृतियों का चित्रण किया गया था। साड़ी के साथ उन्होंने सोने की चूड़ियां, एक चेन और झुमके पहने थे, जो उनके लुक को और भी खूबसूरत बना रहे थे। इस परिधान ने वित्त मंत्री के सौंदर्य और भारतीय संस्कृति के प्रति उनके प्रेम को पूरी तरह से प्रदर्शित किया।
मधुबनी कला का महत्व और विरासत

मधुबनी कला बिहार के मिथिला क्षेत्र की एक प्राचीन और पारंपरिक लोक कला है, जो विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस कला में जटिल ज्यामितीय पैटर्न, पुष्प आकृतियां और पौराणिक कथाओं का चित्रण किया जाता है। इसका महत्व न केवल अपनी सुंदरता और विशिष्टता में है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा भी है। मधुबनी कला की जीवंत रंगों और नाजुक रेखाओं ने इसे एक अलग पहचान दी है, और यह कला आज भी बिहार की ग्रामीण संस्कृति का हिस्सा बनी हुई है।
इतिहास रचने जा रही वित्त मंत्री

निर्मला सीतारमण ने आठवीं बार केंद्रीय बजट पेश किया है, जो स्वतंत्र भारत में किसी भी वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया सबसे बड़ा बजट है। यह न केवल उनके करियर की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के आर्थिक भविष्य के लिए भी अहम कदम साबित हो सकता है। इस बार उन्होंने अपनी साड़ी में पारंपरिक भारतीय शिल्प को प्रदर्शित करते हुए एक संदेश दिया कि भारतीय कला और संस्कृति की विरासत को समर्पित किया जा सकता है, जबकि आधुनिकतम वित्तीय निर्णय लिए जा रहे हों।