Byelection Update: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उत्तर प्रदेश (UP) में होने वाले दस विधानसभा सीटों के उपचुनाव के लिए एक मजबूत रणनीति बनाने के लिए अपनी टीम को तैयार कर लिया है। इन उपचुनावों में पार्टी के उन मंत्रियों और पदाधिकारियों को चुना गया है जो जिम्मेदारी से अपना कार्य निर्वहन करेंगे। भाजपा ने प्रदेश के विभिन्न क्लस्टरों में मंत्रियों और पदाधिकारियों की टीमें बनाई हैं। हर क्लस्टर में दो से तीन मंत्रियों के साथ एक से दो पदाधिकारियों को भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये टीमें अपने विधानसभा क्षेत्रों में एक सप्ताह तक भाजपा की चुनावी रणनीति को समझने और इसे सुनिश्चित करने के लिए कार्य करेंगी।
उपचुनाव के लिए भाजपा की स्ट्रैटेजी
इन उपचुनावों में भाजपा ने गहरी सोशल इंजीनियरिंग की भी योजना बनाई है। पार्टी ने विभिन्न जातियों और समुदायों के नेताओं के साथ बैठकर उनकी पसंद और रुचियों को समझने का प्रयास लार रही है। हर विधानसभा क्षेत्र में जातीय गणित के महत्वपूर्ण अंक की रिपोर्ट बनाई जाएगी ताकि वहां के दावेदारों को समझा जा सके।
भाजपा के लिए सबसे महत्वपूर्ण सीटें
इन उपचुनावों में कई महत्वपूर्ण सीटें हैं जिन पर भाजपा विशेष ध्यान देना चाहेगी। कानपुर की सीसामऊ सीट पर वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल को जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनके साथ प्रदेश उपाध्यक्ष मानवेंद्र सिंह भी शामिल हैं। इसी तरह कटेहरी विधानसभा में धर्मपाल सिंह और जेपीएस राठौर को भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं।
जातियों और समुदायों के मेलजोल बनाने की कोशिश
भाजपा ने उत्तर प्रदेश में अपने दावेदारों के लिए जातीय समीकरण को साधने के लिए मंत्रियों और नेताओं की स्पेशल टीमें बनाई हैं। ये टीमें समुदायिक समझौतों पर भी काम कर रही हैं ताकि भाजपा अपने वोट को बरकरार रख सके। कुर्मी बहुल फूलपुर सीट की कमान परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को सौंपी गई है और उनके साथ मंत्री राकेश सचान को लगाया गया है। दयाशंकर सिंह ठाकुर जाति से आते हैं तो राकेश सचान कुर्मी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।
इस तरह फूलपुर सीट के समीकरण को ध्यान में रखते हुए कुर्मी और ठाकुर मंत्री को जिम्मा सौंपा है ताकि पार्टी अपना वर्चस्व बरकरार रख सके। वहीं दूसरी तरफ मिल्कीपुर सीट का जिम्मा मंत्री सूर्य प्रताप शाही और मयंकेश्वर शरण सिंह को सौंपा गया है। इसके साथ ही कटेहरी सीट के लिए मंत्री स्वतंत्र देव सिंह और आशीष पटेल को जिम्मेदारी सौंपी गयी है।
विधानसभा क्षेत्रों में बूथ संगठन की रणनीति
उपचुनावों के लिए भाजपा ने हर विधानसभा क्षेत्र में बूथ संगठन को मजबूत करने का भी निर्णय लिया है। मंत्रियों और पदाधिकारियों को विधानसभा में आने वाले स्वयं सहायता समूहों, एनजीओ और स्थानीय धार्मिक गुरुओं के साथ मिलकर इसके लिए तैयारी करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा, भाजपा ने संभावित दावेदारों की लोकप्रियता और संसाधनों की जांच के लिए भी अपनी टीमों को काम में लगाया है। जाहिर सी बात है कि इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा सर्कार के मन मुताबिक तो नहीं थे साथ ही यूपी के नतीजों से तो वो अभी तक संतुष्ट नहीं हुए है। अब देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा ने जो ये बिसात बिछायी है इसे जीत में कैसे तब्दील कर पाती है?