Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इस बार चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए Special Intensive Revision (SIR) ने सियासी हलचल तेज कर दी है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस प्रक्रिया को “वोटों की चोरी” कहने के बाद अब स्वतंत्र सांसद पप्पू यादव ने भी उनका समर्थन करते हुए चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर तीखे आरोप लगाए हैं.
चुनाव आयोग की मंशा पर उठाए सवाल
बताते चले कि, पप्पू यादव ने खुलकर चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए कहा कि “अगर 22 लाख मतदाता मर गए, 35 लाख गायब हैं और 7 लाख वोटरों का दो बार पंजीकरण हुआ है, तो अब तक हुए चुनावों की वैधता पर सवाल उठते हैं.” उन्होंने पूछा कि यह सब 16 सालों तक नजर नहीं आया, लेकिन अचानक एक महीने में यह गड़बड़ी कैसे सामने आ गई?
चुनावों की निष्पक्षता पर संदेह जताया
इसी कड़ी में आगे, पप्पू यादव ने कहा कि यदि यह फर्जीवाड़ा सच है, तो प्रधानमंत्री और अन्य नेताओं का निर्वाचन भी सवालों के घेरे में है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “पहले तो लोकसभा को ही भंग कर देना चाहिए।” साथ ही चेतावनी दी कि अगर विधानसभा क्षेत्रों में भी गड़बड़ी साबित होती है, तो उन सीटों को भी भंग किया जाना चाहिए. उन्होंने चुनावी पारदर्शिता की मांग करते हुए एक जन आंदोलन शुरू करने की बात भी कही.
‘पिछले दरवाजे से सत्ता में आने’ का आरोप
बीजेपी पर आरोप लगाते हुए पप्पू यादव ने कहा, “महाराष्ट्र में शाम 5 बजे के बाद अचानक 40 लाख वोट डाले जाते हैं, दिल्ली में भी ऐसी ही गड़बड़ी होती है.” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि नाम जोड़े जा सकते हैं, लेकिन नाम काटे नहीं जाने चाहिए। उन्होंने बीजेपी पर लोकतंत्र को डकैती में बदलने का आरोप लगाते हुए कहा, “इनकी मानसिकता ही गड़बड़ है, इनको किसी मानसिक अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.”
किसान सम्मान निधि पर भी साधा निशाना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों को दी जाने वाली किसान सम्मान निधि की किश्त पर भी पप्पू यादव ने सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा, “क्या ये पैसा उनके घर से आता है? यह तो भारत के टैक्सपेयर्स का पैसा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार हर चीज की मार्केटिंग करती है—चाहे सेना हो, भगवान हो या अब किसान। “किसानों की किश्त उनका अधिकार है, न कि किसी के दादा-नाना की संपत्ति,” पप्पू यादव ने कहा.
SIR प्रक्रिया को लेकर विपक्ष का विरोध अब तेज होता जा रहा है। पप्पू यादव के तीखे बयानों से साफ है कि आने वाले बिहार चुनाव में यह मुद्दा बड़ा राजनीतिक विवाद बन सकता है। विपक्ष ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए पारदर्शिता की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है।