बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने Tejashwi Yadav ने 12 फरवरी को बिहार में दोबारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के खिलाफ ‘खेला’ (Khela) का एलान कर रखा था लेकिन उलटकर पड़ी चोट आज भी जिंदा है। 8 महीने बाद अब बिहार की आर्थिक अपराध इकाई की जांच रिपोर्ट में यह बात खुलकर सामने आ गई है कि,हवाला डील के जरिए नीतीश कुमार सरकार को गिराने के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही थी l
तो विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को उस दिन लगी एक बड़ी चोट का घाव फिर हरा हुआ नजर आता है।राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव खुद मोर्चा संभालकर बैठै थे कि,नीतीश कुमार (Nitish Kumar) फ्लोर टेस्ट में फेल कर जाएं। पैसों की लेनदेन महागठबंधन की ओर से कौन कर रहे थे यह नाम सामने आना बाकी है लेकिन ईओयू की पड़ताल के बाद यह तो साफ हो गया है कि,जिस खेला की बात तेजस्वी यादव कर रहे थे वह उन्हीं पर भारी पड़ गया।
हर स्तर पर तैयारी कर रहे नेता
बिहार में जब 28 जनवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2020 के विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश का हवाला देते हुए एनडीए में वापसी की थी उस समय से लेकर 12 फरवरी को बिहार विधानसभा में बहुमत परीक्षण के बीच में महागठबंधन के नेता हर स्तर पर तैयारी कर रहे थे।राष्ट्रीय जनता दल की तैयारी जदयू के विधायकों को अपने साथ लाने की थी जबकि कांग्रेस ने जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) को खुला ऑफर दे रखा था।मांझी के बेटे को डिप्टी सीएम बनाने तक की बात थी।
मांझी ने बाद में कहा भी था कि,वह फ्लोर टेस्ट के अंपायर की भूमिका निभा रहे थे।ऐसा नहीं कि राजद सफल नहीं रहा लेकिन वह संख्या में खेल नहीं कर सका।जदयू के एक ही विधायक मतदान के दौरान सदन में मौजूद नहीं रहे।जबकि राजद के 3 विधायकों ने नीतीश कुमार सरकार के फ्लोर टेस्ट से पहले ही एनडीए के खेमे में बैठकर तेजस्वी यादव की सारी योजना बर्बाद कर दी।
नीतीश कुमार सरकार ने मोहन की रिहाई के लिए किया प्रयास
12 फरवरी को बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार सरकार के बहुमत परीक्षण के दौरान क्रॉस वोटिंग की आशंका तेजस्वी यादव को भी थी।यही कारण है कि,बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद को तेजस्वी ने एक दिन पहले बुलाया और रात भर अपने साथ रखकर क्रिकेट खेलाया। चेतन आनंद को लेकर डर इसलिए था क्योंकि नीतीश कुमार सरकार ने आनंद मोहन की रिहाई के लिए बोलकर एकदम खुलकर प्रयास किए थे।आनंद मोहन को मिली राहत के बाद चेतन आनंद को कुछ चुकाना ही था और हुआ भी यही फ्लोर टेस्ट में।
इधर जेल में बंद अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी (Neelam Devi) ने राजद का साथ छोड़ सत्ता का साथ दिया।राजद की सरकार गिरने पर अनंत सिंह के घर पर खूब आतिशबाजी हुई थी।सरकार बदलने के कुछ महीनों बाद अब अनंत सिंह न केवल बाहर हैं बल्कि सीएम नीतीश कुमार से उनकी भेंट भी हो चुकी है। तीसरे थे प्रह्लाद यादव जो राजद के पांच बार विधायक रहने के बाद अचानक सरकार के साथ हो लिए थे।
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तीनों विधायक अब भी माननीय हैं
राजद की नरमी कहें, लाचारी या लापरवाही-यह तीनों विधायक अब भी माननीय हैं, जबकि फ्लोर टेस्ट में पार्टी लाइन से अलग हटकर सामने के खेमे में जाने पर विधायकी जाना तय होता है।फ्लोर टेस्ट के बाद भी महागठबंधन से कई विधायकों का मोहभंग हुआ।बताया जाता है कि,इसी कारण राजद ने अपने इन 3 विधायकों के ऊपर अब तक कार्रवाई नहीं की है। इधर इन तीनों को सरकार का भी फायदा मिल रहा है और उधर राजद भी संवैधानिक तौर पर उन्हें अपना मानकर चल रहा है शायद किसी इंतजार में।तेजस्वी यादव ने फ्लोर टेस्ट में उनके पलटने को नियम विरूद्ध कहा था लेकिन इनकी विधायकी छीनने के लिए जमीनी प्रयास 8 महीने में नहीं किया।
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सत्ता पक्ष के समर्थन में 129 वोट पड़े
नीतीश कुमार सरकार के बहुमत परीक्षण से पहले ही इन्होंने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को हटाने के प्रस्ताव पर सरकार का साथ दिया था।सरकार के लिए जब फ्लोर टेस्ट हुआ था तो सत्ता पक्ष के समर्थन में 129 वोट पड़े थे जबकि राजद समेत महागठबंधन ने हार मानते हुए वॉकआउट का रास्ता अख्तियार कर लिया था।फ्लोर टेस्ट के पहले नीतीश कुमार सरकार के पास 128 विधायकों की ताकत थी। राजद के इन 3 विधायकों ने सत्ता पक्ष के लिए मतदान किया जबकि जदयू विधायक दिलीप राय मतदान से गैर-हाजिर रहे।सदन चला रहे उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था।