Bihar Election 2025: बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक यानी महागठबंधन चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटा है। 17 अप्रैल को पटना में महागठबंधन की एक अहम बैठक हुई, जिसमें राजद, कांग्रेस, वाम दलों और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के नेता शामिल हुए। इस बैठक ने कई सवालों को जन्म दिया, खासकर इस बात को लेकर कि क्या तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे या नहीं।
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तेजस्वी यादव का सीएम वाला चेहरा
राजद ने पहले ही तेजस्वी यादव को अपना सीएम चेहरा घोषित कर दिया था और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने भी उन्हें ‘छोटा भाई’ बताते हुए मुख्यमंत्री बनाने की वकालत की थी। इतना ही नहीं, दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से तेजस्वी की मुलाकात भी हो चुकी है। इसके बावजूद बैठक में उनके नाम पर औपचारिक मुहर नहीं लग सकी।
मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ने की रणनीति
दरअसल, कांग्रेस फिलहाल बिना मुख्यमंत्री चेहरे के चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी को सवर्ण जातियों के वोट खिसकने का डर है, जो तेजस्वी के नाम की घोषणा के बाद हो सकता है। यही वजह है कि कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव की तर्ज पर बिना पीएम चेहरे के मैदान में उतरने जैसी रणनीति को बिहार में भी लागू करना चाहती है।
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कोऑर्डिनेशन कमेटी की तैयारी
महागठबंधन के भीतर एक कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाई जा रही है, जो सीट बंटवारे और चुनावी फैसलों पर काम करेगी। कांग्रेस का मानना है कि चुनाव परिणाम आने के बाद सबसे बड़ी पार्टी को नेता चुनने का अधिकार होना चाहिए। अगर आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनती है, तो स्वाभाविक रूप से तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे आगे होंगे।
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बंटवारे में जातीय संतुलन को खास तवज्जो
बताते चले… सीट बंटवारे में जातीय संतुलन को इस बार भी खास तवज्जो दी जा रही है। यादव, कुशवाहा, दलित, महादलित, सवर्ण और मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कवायद जोरों पर है। कांग्रेस मुस्लिम, दलित और सवर्ण मतदाताओं पर फोकस कर रही है, जबकि मुकेश सहनी निषाद समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश में हैं।