Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति में लंबे समय से यह चर्चा रही है कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के रिश्ते सहज नहीं रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब कन्हैया कुमार ने CPI के टिकट पर बेगूसराय से चुनाव लड़ा था, तब तेजस्वी यादव ने उन्हें खुला समर्थन नहीं दिया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यह अटकलें लगाई गईं कि तेजस्वी यादव के प्रभाव के चलते ही कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को बिहार से टिकट नहीं दिया। लेकिन अब विधानसभा चुनाव से पहले समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। कन्हैया कुमार ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का सबसे मजबूत दावेदार बताया है।
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कन्हैया का साफ संदेश
एक समाचार एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में कन्हैया कुमार ने कहा कि महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के लिए कोई भ्रम नहीं है। उन्होंने कहा, “जिस पार्टी के पास सबसे ज्यादा सीटें होंगी, मुख्यमंत्री पद उसी का होगा। और हमारे गठबंधन में राजद सबसे बड़ी पार्टी है, इसलिए तेजस्वी यादव स्वाभाविक रूप से मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं।” उनका यह बयान यह संकेत देता है कि कन्हैया अब तेजस्वी के नेतृत्व को खुलकर स्वीकार कर रहे हैं।
“महागठबंधन में सभी दल जरूरी, कोई छोटा-बड़ा नहीं”
कन्हैया कुमार ने यह भी स्पष्ट किया कि महागठबंधन के भीतर सभी पार्टियां समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि “यहां कोई सीनियर या जूनियर नहीं है। चुनाव जीतने के लिए सबका साथ और एकता जरूरी है।” एक दिलचस्प उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे एक गाड़ी के लिए ब्रेक, क्लच और मिरर सभी जरूरी होते हैं, वैसे ही गठबंधन की सभी पार्टियों का योगदान जरूरी है।
“बिहार में बदलाव की हवा, जनता ने बना लिया है मूड”
कन्हैया कुमार ने कहा कि इस बार बिहार की जनता बदलाव के मूड में है। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन मामूली अंतर से सत्ता में आने से चूक गया था। उन्होंने दावा किया कि इस बार जनता का समर्थन पहले से कहीं ज्यादा है और महागठबंधन को सत्ता में लाने का जनमत तैयार हो चुका है।
“भाजपा असली मुद्दों से भटका रही है जनता का ध्यान”
कन्हैया ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह बार-बार चेहरे की बात कर जनता को असली मुद्दों से भटकाना चाहती है। उन्होंने कहा कि बिहार में मुख्य मुद्दे बेरोजगारी, पलायन, पेपर लीक, अपराध और सरकारी व्यवस्था की विफलताएं हैं। भाजपा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे मुद्दों को प्रचारित नहीं कर रही क्योंकि उसे मालूम है कि बिहार के लोग सेना और राष्ट्रवाद पर राजनीति को पसंद नहीं करते। उन्होंने जोर देकर कहा कि जनता इस बार असल मुद्दों पर वोट करेगी।
कन्हैया कुमार के इस बदले रुख से साफ है कि बिहार में विपक्ष एकजुटता दिखाने की कोशिश में है। जहां पहले उनके और तेजस्वी यादव के संबंधों को लेकर संदेह था, वहीं अब कन्हैया तेजस्वी के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं, जो महागठबंधन के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा सकता है।