Bihar Election 2025: बिहार में अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव से पहले, एनडीए और विपक्षी महागठबंधन दोनों ही मतदाताओं के बीच एकजुटता का संदेश देने में जुटे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाले महागठबंधन में कांग्रेस, वाम दल और विकासशील इंसान पार्टी ने मतदाता सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाकर बिहार बंद का आयोजन किया। वहीं, एनडीए के भीतर चिराग पासवान के तेवरों ने जदयू की चिंता बढ़ा दी है।
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चिराग पासवान का 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान
बताते चले कि, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बार-बार यह दोहराया है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हाल ही में आरा और फिर सारण में उन्होंने जनसभाओं के दौरान यह घोषणा दोहराई कि उनका गठबंधन सिर्फ़ बिहार की जनता के साथ है। यह ऐलान जदयू के लिए चुनौती बनता जा रहा है।
कानून-व्यवस्था पर साधा निशाना
चिराग पासवान ने सारण में व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या के मुद्दे को उठाकर बिहार सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। उनके तीखे तेवरों से यह साफ है कि वे सिर्फ़ चुनावी दावे नहीं कर रहे, बल्कि प्रशासनिक मोर्चे पर भी दबाव बना रहे हैं।
चिराग का मकसद क्या है?
गौर करने वाली बात यह है कि चिराग जिन क्षेत्रों में सभाएं कर रहे हैं, वहां लोजपा का कोई जनाधार नहीं है और ये भाजपा के गढ़ माने जाते हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि चिराग का मकसद क्या है? जानकार मानते हैं कि यह सीट बंटवारे में सौदेबाजी के साथ-साथ भविष्य की रणनीति भी है।
सीटों की मांग और दबाव की राजनीति
चिराग की पार्टी कभी 60, कभी 40 सीटों पर दावा करती रही है, लेकिन वास्तविकता यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी का खाता तक नहीं खुला। अब कहा जा रहा है कि अगर लोजपा को 33-35 सीटें मिल जाएं तो वह मान जाएगी। सवाल उठता है कि बिना विधानसभा में मौजूदगी के इतनी सीटें कैसे मिलेंगी?
एनडीए के भीतर दबाव की रणनीति
2020 में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा के खिलाफ एक भी बयान नहीं दिया। अब भी उनका हमला सीधा जदयू पर है। पिछली बार उनकी पार्टी ने जदयू की कई सीटों पर नुकसान किया था, और अब वह उन्हीं सीटों पर फिर दावा ठोक रही है।
भाजपा के कमजोर क्षेत्रों में लोजपा की सक्रियता
भोजपुर और सारण जैसे भाजपा के गढ़ माने जाने वाले जिलों में चिराग की सक्रियता बढ़ रही है। 2020 में इन जिलों में भाजपा का प्रदर्शन कमजोर रहा था। ऐसे में चिराग इन क्षेत्रों को लोजपा के लिए संभावित आधार क्षेत्र के रूप में देख रहे हैं और भाजपा को यह संदेश दे रहे हैं कि उनकी उपस्थिति को नजरअंदाज न किया जाए।