Bihar: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान में निर्वाचन आयोग को बड़ी सफलता मिली है। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में बड़ा खुलासा हुआ है।पुनरीक्षण के पहले चरण के आंकड़ों में सामने आया है कि,लगभग 35 लाख मतदाता अपने पंजीकृत पते से स्थाई रूप से पलायन कर चुके हैं।अब तक 7.24 करोड़ या 91.69 प्रतिशत मतदाताओं से गणना फार्म प्राप्त हुए।
मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) मामले में चुनाव आयोग को सफलता
चुनाव आयोग ने कहा कि,पहले चरण में बिहार की वर्तमान मतदाता सूची के 99.8 फीसदी हिस्से को कवर कर लिया है।आयोग ने बयान जारी कर कहा कि,मतदाता सूची में 22 लाख नाम ऐसे हैं जो अब जिंदा नहीं हैं।वहीं 7 लाख के करीब नाम दो या दो से अधिक जगहों पर दर्ज पाए गए हैं।आयोग ने बताया जिन मतदाताओं ने फॉर्म नहीं भरे हैं,जिनका निधन हो चुका है या जो स्थाई रूप से किसी और राज्य में पलायन कर चुके हैं,उनकी सूची सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ 20 जुलाई को साझा कर दी गई है।
चुनाव आयोग ने सभी मतदाताओं को दिलाया आश्वासन
चुनाव आयोग ने मतदाताओं को आश्वासन दिया है कि,अगर कोई व्यक्ति मतदाता सूची से बाहर हो जाए तो इसका मतलब यह नहीं होगा कि उसकी नागरिकता समाप्त हो गई है।चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कानून और संविधान के तहत उसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह नागरिकता से जुड़े दस्तावेज मांग सके, ताकि लोगों को ‘मताधिकार’ मिल सके।
SIR मामले पर SC में सुनवाई आज
वहीं बिहार में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण (S.I.R) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा।इससे पहले इस मामले में सुनवाई पर कोर्ट ने पुनरीक्षण प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई थी।सुप्रीम कोर्ट में आज का दिन हलचल भरा रहने वाला है। सुप्रीम कोर्ट आज कई अहम मामलों की सुनवाई करेगा जिसमें सबसे महत्वपूर्ण बिहार में विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण (S.I.R) का मामला होगा सुप्रीमकोर्ट की यह सुनवाई बिहार में एसआईआर का आगे का भविष्य तय करेगी।
SC ने पहले हुई सुनवाई में नहीं लगाई थी रोक
मतदाता गहन पुनरीक्षण (SIR) मामले में सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनरीक्षण प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई थी।कोर्ट ने माना था कि,चुनाव आयोग को मतदाता सूची का सघन पुनरीक्षण करने का संवैधानिक अधिकार है,हालांकि चल रही प्रक्रिया के समय को लेकर सवाल जरूर उठाया था और कहा था यह मसला लोकतंत्र के मूल और मतदान के अधिकार से जुड़ा हुआ है।
आधार कार्ड,राशन कार्ड भी जरुरी दस्तावेज में शामिल
सुनवाई के दौरान वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए निर्धारित 11 दस्तावेजों की सूची को लेकर भी चुनाव आयोग से प्रश्न किए थे और उन दस्तावेजों में आधार कार्ड व चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र को न शामिल किए जाने पर सवाल पूछा था।कोर्ट ने अंतरिम आदेश में चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि,वह वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए दिए जाने वाले दस्तावेजों में आधार कार्ड,मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर भी विचार करे।