अग्नि 5 मिसाइल के सफल परीक्षण पर DRDO को बड़ी कामयाबी,PM मोदी ने सफलता पर दी बधाई

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Divyastra Mission News:देश के वैज्ञानिकों को आज एक बड़ी सफलता मिली है.भारत ने आज न्यूक्लियर बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि 5 की पहली फ्लाइट टेस्टिंग की,जो सफल रही.जिसकी सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत विकसित अग्नि -5 मिसाइल के पहले सफल फ्लाइट टेस्ट के लिए डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के वैज्ञानिकों को बधाई दी है.

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि -5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण,मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है।पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में अग्नि-5 मिसाइल को ‘मिशन दिव्यास्त्र’ कहा है. इसका सीधा मतलब है कि,ये एक मिसाइल कई टारगेट को हिट कर सकता है.अमूमन एक मिसाइल में एक ही वॉरहेड होता है और ये एक ही टारगेट को हिट करता है।आपको बता दें कि,एमआईआरवी तकनीक के तहत किसी मिसाइल में एक ही बार में कई परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता होती है.भारत के पास अब तक अग्नि सीरीज की 1 से 5 तक मिसाइलें हैं।

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क्या है अग्नि 5 की खासियत?

भारत के पास अब तक अग्नि सीरीज की 1 से 5 तक की मिसाइलें हैं और सभी अलग-अलग रेंज के हैं.इन सीरीज में से अग्नि-5 सबसे खास है.ये मिसाइल 5 हजार किमी से भी ज्यादा दूर टारगेट को हिट कर सकता है.इसकी फ्लाइट टेस्टिंग की तैयारी काफी पहले से की जा रही थी.हालांकि,टेस्टिंग कब होगी, इसकी जानकारी नहीं दी गई थी,लेकिन इसके लिए ओडिशा तट के पास एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से 3500 किमी तक का क्षेत्र ‘नो फ्लाई ज़ोन’ घोषित किया गया था।

आपको बता दें,Agni-5 मिसाइल जमीन से जमीन पर मार करने वाली भारत की पहली और इकलौती इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है.जिसकी रेंज में पूरा चीन,यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्से भी इसके निशाने पर रहेंगे.अग्नि 5 मिसाइल करीब डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ लेकर जा सकता है.इसकी रफ्तार अधिकतम 24 गुना है,यानी की आवाज की रफ्तार से करीब 24 गुना ज्यादा.इसके लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है इसलिए इस मिसाइल को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकेगा।

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2007 में DRDO ने बनाई थी योजना

अग्नि 5 मिसाइल के बारे में वैज्ञानिक एम.नटराजन ने 2007 में पहली बार योजना बनाई थी.अग्नि-5 मिसाइल को लॉन्च करने के लिए मोबाइल लॉन्चर का उपयोग करते हैं.इसे ट्रक पर लोड करके किसी भी स्थान पर आसानी से पहुंचाया जा सकता है.50 हजार किलोग्राम वजन वाली अग्नि-5 मिसाइल को 200 ग्राम का कंट्रोल एंड गाइडेंस सिस्टम नियंत्रित करता है.जो कि इसी मिसाइल पर लगा होता है.इसे सिस्टम ऑन चिप आधारित ऑन-बोर्ड कंप्यूटर भी कहते हैं.MIRV तकनीक यानी मिसाइल की नाक पर दो से 10 हथियार लगाए जा सकते है.यानी एक ही मिसाइल एक साथ कई सौ किलोमीटर में फैले अलग-अलग 2 से 10 टारगेट पर सटीक निशाना लगा सकता है।

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इससे पहले भी हो चुके हैं कई सफल परीक्षण

बताते चलें कि अग्नि-5 मिसाइल का पहला सफल परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को हुआ था.उसके बाद 15 सितंबर 2013, 31 जनवरी 2015, 26 दिसंबर 2016, 18 जनवरी 2018, 3 जून 2018 और 10 दिसंबर 2018 को सफल परीक्षण हुए.अग्नि-5 मिसाइल के आधा दर्जन से अधिक सफल परीक्षण हो चुके हैं.इन परीक्षणों में मिसाइल को कई मानको पर जांचा गया.जिससे पता चला कि,ये मिसाइल दुश्मन को बर्बाद करने के लिए कितनी ज्यादा बेहतरीन हथियार है।

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