Jagannath Temple:पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में हाल ही में एक अनोखी घटना घटी, जिसे लेकर हर कोई चर्चा कर रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में दिखाया गया है कि एक चील ने मंदिर के ध्वज को पकड़ लिया और इसे मंदिर के शिखर के चारों ओर उड़ाते हुए दिख रहा है। यह घटना उस समय सामने आई है जब ओडिशा और देशभर के श्रद्धालु इस दृश्य को लेकर चिंतित हैं। ज्योतिष विशेषज्ञ इसे एक अपशकुन मान रहे हैं और इस घटना को लेकर अनहोनी की आशंका भी जताई जा रही है।
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भूतकाल में हुईं भी विचित्र घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब जगन्नाथ मंदिर के ध्वज को लेकर कुछ विचित्र घटनाएँ घटी हैं। इससे पहले 2020 में आकाशीय बिजली के कारण मंदिर के ध्वज में आग लग गई थी और उसके बाद कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था। इसके अलावा 2022 में मंदिर के स्तंभों में दरारें आई थीं, जिसके बाद राज्य में राजनीतिक बदलाव देखने को मिले थे और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी। ऐसे में इस साल फिर से इस अपशकुन के होने से लोगों के मन में चिंता बढ़ गई है।
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क्या है मंदिर के ध्वज का रहस्य?
जगन्नाथ मंदिर का ध्वज हमेशा चर्चा का विषय रहा है। यह ध्वज हवा की विपरीत दिशा में लहराता है, जो विज्ञान के लिए एक पहेली है। चाहे हवा की दिशा कुछ भी हो, इस ध्वज की दिशा हमेशा एक ही रहती है। यह घटना वैज्ञानिकों को भी हैरान कर देती है, क्योंकि हवा के विपरीत दिशा में ध्वज का लहराना एक अजीब संयोग है।हर दिन मंदिर के ध्वज को बदलने की परंपरा है, और मान्यता है कि अगर यह ध्वज किसी कारणवश नहीं बदला गया, तो मंदिर 18 सालों तक बंद रह सकता है और यदि मंदिर के कपाट खोले गए तो यह प्रलय का संकेत हो सकता है। यह मान्यता स्थानीय श्रद्धालुओं के बीच गहरी आस्था का कारण बन चुकी है।
एक पुरानी कथा और इसके पीछे की परंपरा
एक पुरानी कथा के अनुसार, एक भक्त ने सपने में देखा था कि भगवान जगन्नाथ का ध्वज फट गया है। इसके बाद, मंदिर के पुजारियों ने भी ध्वज को उसी हालत में पाया, जिसके बाद से हर दिन एक नया ध्वज फहराने की परंपरा शुरू हुई। यह परंपरा भगवान के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक मानी जाती है। माना जाता है कि पुराने ध्वज को बुरी ऊर्जा को खींचने का कार्य सौंपा जाता है, इसलिए उसे हटा दिया जाता है और नया ध्वज फहराया जाता है।
ध्वज और मंदिर की संरचना
मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी लगा हुआ है, जिसका वजन लगभग 1000 किलोग्राम है। यह चक्र इतनी ऊंचाई पर कैसे पहुंचा, यह भी एक रहस्य बना हुआ है, खासकर जब उस समय की तकनीक इतनी विकसित नहीं थी।इस रहस्य और विचित्र घटनाओं के कारण जगन्नाथ मंदिर का ध्वज हमेशा श्रद्धालुओं और वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय बना रहा है। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर लोगों को मंदिर की अद्भुत परंपराओं और रहस्यों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है।