Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जान की सुरक्षा की मांग वाली आठ हिंदू-मुस्लिम दंपतियों की याचिकाएं खारिज कर दी हैं। याचियों ने परिवार से अपनी जान को खतरा बताया है। दरअसल इन आठ याचिकाओं में पांच मुस्लिम युवकों ने हिंदू महिलाओं से शादी की थी जबकि तीन हिंदू युवकों ने मुस्लिम महिलाओं के साथ विवाह किया था। जिन्होनें अपने परिवार से जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की थी। लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, इसके साथ ही कहा कि- ” इन शादियों में धर्म परिवर्तन रोधी कानून का पालन नहीं किया गया।”
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कोर्ट ने आगे कहा कि..
वहीं कोर्ट ने आगे कहा कि- ” ये कपल की शादी उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम (Uttar Pradesh Prohibition of Religious Conversion Act) के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। इस दौरान जस्टिस सरल श्रीवास्तव ने कहा कि – ‘ये अंतरधार्मिक विवाह के मामले हैं, लेकिन ये शादी खुद में कानून के मुताबिक नहीं हैं क्योंकि इसमें धर्म परिवर्तन रोधी कानून का पालन नहीं किया गया। कोर्ट में इस मामले से संबंधित दायर अलग-अलग याचिकाओं में अपनी सुरक्षा और वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप नहीं करने की मांग की गई थी।”
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इन राज्यों में कोर्ट का फैसला आना बाकी…
आपको बता दें कि यूपी सहित मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों द्वारा धर्मांतरण विरोधी कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित हैं, जिन पर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आना बाकी है।
क्या है धर्म परिवर्तन रोधी कानून?
वहीं ये ज्यादातर मामले उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से हैं बाकी अन्य जिलों से हैं। बता दें कि धर्म परिवर्तन रोधी कानून साल 2021 में पारित किया गया था। इस कानून में बहला-फुसला कर, बलपूर्वक, धोखाधड़ी, अनुचित प्रभाव, दबाव और प्रलोभन के जरिए एक धर्म से दूसरे धर्म में गैर कानूनी परिवर्तन को रोकता है।