NITI Aayog की बैठक से पहले ममता बनर्जी ने कर दी बड़ी मांग, कहा-“नीति आयोग को खत्म कर योजना आयोग को वापस लाओ”

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Mamata Banerjee

Mamata Banerjee On NITI Aayog: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने नीति आयोग (NITI Aayog) की आगामी बैठक में भाग लेने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा है कि वे इस बैठक में बंगाल के साथ हो रहे राजनीतिक भेदभाव का विरोध करेंगी। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा और उनके नेताओं का रवैया ऐसा है कि वे बंगाल को बांटना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “वे बंगाल के आर्थिक और भौगोलिक नाकेबंदी करना चाहते हैं। झारखंड, बिहार और बंगाल को बांटने के लिए अलग-अलग नेता अलग-अलग बयान दे रहे हैं। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं।”

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योजना आयोग की वापसी की मांग

सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि नीति आयोग को खत्म कर योजना आयोग (Yojna Aayog) को वापस लाया जाए। उन्होंने कहा, “योजना आयोग नेताजी सुभाष चंद्र बोस का आइडिया था। यह सरकार आपसी लड़ाई में गिर जाएगी, बस इंतजार कीजिए।” ममता बनर्जी ने अपने दौरे के दौरान ज्यादा समय न होने के कारण किसी नेता से मुलाकात नहीं की, लेकिन उन्होंने अरविंद केजरीवाल की पत्नी से मिलने की इच्छा जताई।

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तृणमूल कांग्रेस के सांसदों का विरोध

तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद बजट 2024 में पश्चिम बंगाल की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं। इस बीच, पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बंगाल के एक हिस्से को पूर्वोदय योजना में शामिल करने की मांग की थी। ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नेता इस मांग को विभाजनकारी बता रहे हैं। टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने बजट भाषण में आरोप लगाया था कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने 2021 में पश्चिम बंगाल में हारने के बाद कई योजनाओं के धन का आवंटन बंद कर दिया है।

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नीति आयोग की बैठक में भाग लेने का संकेत

27 जुलाई को दिल्ली में हो रही नीति आयोग (NITI Aayog) की बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होने से इंकार कर चुके हैं। इस बीच ममता बनर्जी दिल्ली पहुंच रही हैं और उन्होंने बैठक में शामिल होने के संकेत दिए हैं। उन्होंने आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर भी बयान दिया है। उन्होंने कहा, “बंगाल में बीजेपी का सूरज डूब रहा है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का गठबंधन जीतेगा। हरियाणा में बीजेपी हारेगी और झारखंड में हेमंत सोरेन फिर जीतेंगे।”

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सीएए पर ममता का रुख

सीएए के सवाल पर ममता बनर्जी ने कहा कि अगर एक सरकार इसे लागू कर सकती है, तो दूसरी सरकार इसे वापस भी कर सकती है। उन्होंने हाल के चुनाव परिणामों का हवाला देते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन को 51 फीसदी तो एनडीए को 46 फीसदी वोट मिले। एनडीए का हिस्सा बनने के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वे विचारधारा से समझौता नहीं कर सकतीं।

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ममता का पलटवार

बांग्लादेश में हालिया प्रदर्शन के दौरान शरणार्थियों को लेकर दिए गए अपने बयान पर विदेश मंत्रालय की आपत्ति जताने पर ममता बनर्जी ने पलटवार किया। उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र के संकल्प के कारण मैं शरणार्थियों को शरण देने के लिए बाध्य हूं। ये दो देशों के बीच का मामला है। मेरे शब्दों को तोड़ा-मरोड़ा गया। कुछ बीजेपी नेताओं और बांग्लादेश के लोगों ने ऐसा किया। मैं संघीय ढांचे को अच्छे से समझती हूं। मैं सात बार सांसद रही हूं और दो बार केंद्रीय मंत्री रही हूं। मुझे विदेश नीति किसी और से बेहतर पता है। उन्हें मुझे सिखाने की जरूरत नहीं है। उन्हें व्यवस्था से सीखने की जरूरत है।”

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एक संवेदनशील मुद्दा

ममता बनर्जी की इस तीखी प्रतिक्रिया से स्पष्ट होता है कि पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। बंगाल की अनदेखी का आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी ने जिस तरह से नीति आयोग की बैठक में विरोध करने की बात कही है, वह राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। इससे यह भी जाहिर होता है कि तृणमूल कांग्रेस अपने राज्य के अधिकारों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह के भेदभाव को बर्दाश्त नहीं करेगी। नीति आयोग की बैठक में ममता बनर्जी की उपस्थिति और उनके विरोध से यह मामला और गरमाएगा और इसकी प्रतिध्वनि राष्ट्रीय स्तर पर भी सुनाई देगी।

राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ममता बनर्जी का यह कदम उन्हें और उनकी पार्टी को बंगाल में मजबूती से खड़ा करने में मदद कर सकता है। वे इस मुद्दे को अपने पक्ष में भुनाने का पूरा प्रयास करेंगी, ताकि आने वाले चुनावों में इसका लाभ उठाया जा सके।

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