Maha Kumbh 2025:प्रयागराज के जिस संगम में महाकुंभ के मौके पर इन दिनों लोगों में स्नान करने की होड़ मची है उसको लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपी अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया है।रिपोर्ट में बताया गया है कि,प्रयागराज में संगम का पानी स्नान करने लायक नहीं है जिस संगम में 53 करोड़ श्रद्धालु अब तक स्नान कर चुके हैं उसके जल में फेकल क्लोरीफॉर्म की अधिक मात्रा पाई गई है।यह बात केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कही है।
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महाकुंभ में संगम स्नान करने वालों को बड़ा झटका

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रिपोर्ट में खुलासा किया है कि,संगम के जल में फेकल क्लोरोफॉर्म की अधिक मात्रा पाई गई है जो आमतौर पर सीवेज प्रदूषण का संकेत देता है।रिपोर्ट के अनुसार किसी भी जल में फेकल क्लोरोफॉर्म की अधिकतम सीमा 2500 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर होनी चाहिए लेकिन महाकुंभ के दौरान संगम में यह स्तर कई जगहों पर तय मानकों से अधिक पाया गया है।एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव,जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सेंथिल वेल की बेंच 17 फरवरी को प्रयागराज में गंगा और यमुना में सीवेज के डिस्चार्ज को रोकने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
CPCB ने संगम के जल को स्नान करने योग्य से नकारा

एनजीटी ने यूपी सरकार को 2025 महाकुंभ मेले के लिए सीवेज प्रबंधन योजना बनाने का निर्देश दिया था।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देशों के अनुसार महाकुंभ में जो श्रद्धालु स्नान करने आ रहे हैं उनके संगम के जल की गुणवत्ता के बारे में सूचित किया जाना चाहिए एनजीटी ने दिसंबर 2024 को अपने एक आदेश में कहा था कि,महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में गंगा जल की पर्याप्त उपलब्धता होनी चाहिए इसकी गुणवत्ता पीने और नहाने के लिए उपयुक्त होनी चाहिए।
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19 फरवरी को होगी अगली सुनवाई

गंगा-यमुना के खराब जलस्तर के कारण एनजीटी ने यूपी पीसीबी को फटकार लगाई और राज्य अधिकारियों को 19 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई में वर्चुअली पेश होने का आदेश दिया है।आपको बता दें कि,ऐसा पहली बार नहीं है जब कुंभ के दौरान संगम के जल की गुणवत्ता को खराब बताया गया है इससे पहले 2019 कुंभ पर भी सीपीसीबी की रिपोर्ट में प्रमुख स्नान के दिनों में जल की गुणवत्ता को बेहद खराब बताया था।
“करोड़ों रुपये खर्च लेकिन सफाई पर नहीं दिया ध्यान”
इस तरह के जल में स्नान करने से त्वचा रोग,पेट की बीमारियां और अन्य गंभीर संक्रमण से लोग बीमार पड़ सकते हैं अब सवाल ये है कि,जब सरकार महाकुंभ की तैयारियों पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा सकती है तो आखिरकार नदी में पानी की सफाई के साथ इतनी लापरवाही क्यों की जा रही।सीपीसीबी की एक रिपोर्ट ने सरकार के सारे दावों की पोल खोल दी है देखने वाली बात होगी इस पर अब प्रदेश की योगी सरकार और सीपीसीबी क्या कदम उठाती है?