Bangladesh Violence: बांग्लादेश की हिंसा में फंसे 978 भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Bangladesh Violence

Bangladesh Violence: बांग्लादेश (Bangladesh) में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का आंदोलन तेजी से बढ़ रहा है। स्थानीय छात्रों के इस आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है, जिससे भारतीय छात्र भी प्रभावित हो रहे हैं। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा (Conrad Sangma) ने शुक्रवार को कहा कि अब तक 978 भारतीय छात्रों को बांग्लादेश से सुरक्षित निकाल लिया गया है।

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छात्रों और सरकार समर्थकों के बीच झड़पें

आरक्षण के मुद्दे पर छात्रों और सरकार समर्थक कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़पों में लगभग 105 लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार ने हिंसा के चलते यूनिवर्सिटीज को बंद करने का आदेश दिया है। भारतीय छात्र किसी भी तरह से स्वदेश लौटने की कोशिश कर रहे हैं। उनमें से अधिकांश एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मेघालय और जम्मू-कश्मीर से थे।

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सुरक्षित वापसी के मार्ग

शुक्रवार को छात्रों द्वारा वापसी के लिए इस्तेमाल किए गए दो मुख्य मार्ग त्रिपुरा (Tripura) में अगरतला के पास अखुराह में इंटरनेशनल लैंड पोर्ट और मेघालय में दावकी में इंटरनेशनल लैंड पोर्ट थे। छात्रों ने कहा कि वे स्थिति पर नजर रख रहे थे और अंततः उन्होंने अस्थायी रूप से बांग्लादेश छोड़ने का निर्णय लिया। गुरुवार को इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं और टेलीफोन सेवाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई थीं, जिससे वे अपने परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रहे थे।

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मेघालय और अन्य राज्यों के छात्र

मेघालय में अधिकारियों ने बताया कि विरोध प्रदर्शनों के कारण 200 से अधिक भारतीय छात्रों ने सीमा पार कर लिया है। भूटान और नेपाल से भी कुछ छात्र भारत में दाखिल हुए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि 67 छात्र मेघालय से और सात भूटान से हैं। राज्य सरकार भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए बांग्लादेश उच्चायोग और बांग्लादेश लैंड पोर्ट अथॉरिटी के संपर्क में है।

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भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने बांग्लादेश में हो रहे हिंसक विरोध-प्रदर्शनों को उस देश का ‘आंतरिक’ मामला करार दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि वर्तमान में बांग्लादेश में लगभग 8,000 छात्रों सहित 15,000 भारतीय रह रहे हैं और वे सुरक्षित हैं। भारतीय नागरिकों को ढाका में भारतीय उच्चायोग द्वारा जारी सलाह का पालन करने का निर्देश दिया गया है। इसमें कहा गया है कि उन्हें हिंसक प्रदर्शनों के बीच स्थानीय यात्राओं से बचना चाहिए।

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आरक्षण प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन

बांग्लादेश के ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर राजधानी ढाका तथा अन्य जगहों पर हिंसा भड़कने से करीब 30 लोगों की मौत हो चुकी है और 2,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

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भारतीय उच्चायोग की सलाह

बांग्लादेश में जारी इस आंदोलन का भविष्य अभी अनिश्चित है। छात्रों की मांगें स्पष्ट हैं और वे आरक्षण प्रणाली में बदलाव चाहते हैं। सरकार ने यूनिवर्सिटीज बंद कर दी हैं, लेकिन यह आंदोलन को रोकने में कारगर साबित नहीं हुआ है। यदि सरकार छात्रों की मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो आंदोलन और भी उग्र हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश की आंतरिक स्थिरता पर गंभीर असर पड़ सकता है।

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भारतीय छात्रों की वापसी के बाद की स्थिति

भारतीय छात्रों की वापसी के बाद उन्हें अपने-अपने राज्यों में पुनः स्थापित करने की आवश्यकता होगी। राज्य सरकारें और केंद्र सरकार मिलकर इन छात्रों की समस्याओं का समाधान करेंगी। खासकर उन छात्रों के लिए जो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे, उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो।

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मीडिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर

इस आंदोलन पर मीडिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिकी हुई हैं। भारत सहित अन्य देशों के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ सकता है। भारतीय उच्चायोग और अन्य विदेशी मिशन भी इस स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं ताकि उनके नागरिकों को किसी भी तरह की असुविधा न हो।

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छात्रों की आवाज़ और सामाजिक बदलाव

बांग्लादेश में चल रहा यह आंदोलन केवल आरक्षण के मुद्दे तक सीमित नहीं है। यह आंदोलन छात्रों की आवाज़ को बुलंद कर रहा है और सामाजिक बदलाव की मांग कर रहा है। यह स्पष्ट है कि बांग्लादेश के युवा समाज में बदलाव चाहते हैं और वे इसके लिए संघर्ष करने को तैयार हैं। इस आंदोलन ने छात्रों की एकजुटता और उनके संघर्ष की ताकत को भी प्रदर्शित किया है।

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भारत-बांग्लादेश संबंधों पर असर

यह आंदोलन भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी असर डाल सकता है। भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी के प्रयासों में बांग्लादेश सरकार के सहयोग से यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सहयोग महत्वपूर्ण है। भविष्य में, ऐसे मामलों में दोनों देशों के बीच बेहतर समन्वय और संचार की आवश्यकता होगी ताकि किसी भी प्रकार की आपात स्थिति में तत्काल कार्रवाई की जा सके। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों का आंदोलन गंभीर और संवेदनशील मुद्दा बन गया है। इसने न केवल बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति और सामाजिक संरचना को प्रभावित किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसका प्रभाव देखा जा रहा है।

भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह केवल शुरुआत है। इस आंदोलन का आगे क्या रूप लेगा और इसका बांग्लादेश के भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। अंततः, यह आंदोलन छात्रों की शक्ति और उनकी मांगों की गंभीरता को दर्शाता है। सरकार को चाहिए कि वह छात्रों की मांगों पर गंभीरता से विचार करे और समाधान की दिशा में कदम उठाए ताकि देश में स्थिरता और शांति बनी रहे।

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