Bangladesh सरकारी नौकरियों में कोटा कटौती पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आरक्षण के फैसले को पलटा

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Bangladesh

Bangladesh Violence: बांग्लादेश (Bangladesh) में हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच वहां के सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए सरकारी नौकरी की विवादास्पद कोटा प्रणाली में कटौती कर दी है। यह फैसला कई हफ्तों से हो रहे प्रदर्शनों के बाद आया है, जिनमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच घातक झड़पें हुईं और कई लोग मारे गए। हिंसक झड़पों में कई लोगों की मौत और सैकड़ों के घायल होने के बाद सरकार ने यह कठोर कदम उठाया था कि पुलिस उपद्रवियों को “देखते ही गोली मारने” (Shoot At Sight) का आदेश दिया गया है, जिससे हालात और गंभीर हो गए हैं।

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कोटा प्रणाली में बदलाव

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 93 प्रतिशत सरकारी नौकरियों को योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित करने का आदेश दिया है। शेष 7 प्रतिशत नौकरियां 1971 के बांग्लादेश (Bangladesh) स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों के रिश्तेदारों और अन्य श्रेणियों के लिए आरक्षित की गई हैं। इससे पहले, युद्ध के दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए 30 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित की गई थीं। कोर्ट के इस फैसले का उद्देश्य सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता और योग्यता को प्राथमिकता देना है।

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कुछ हफ्तों से हो रहे हिंसक प्रदर्शन

बांग्लादेश में कोटा प्रणाली के खिलाफ पिछले कुछ हफ्तों से छात्रों के नेतृत्व में व्यापक प्रदर्शन हो रहे थे। मंगलवार को हुए हिंसक झड़पों के बाद स्थिति और गंभीर हो गई। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों और विश्वविद्यालय परिसरों में पत्थर फेंके, जबकि पुलिस ने आंसू गैस, रबर की गोलियां और धुएं के ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। हिंसा को रोकने के लिए सरकार ने पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया और पुलिस को देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया।

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मृतकों और घायलों की संख्या

सरकारी अधिकारियों ने हिंसक प्रदर्शनों के दौरान मारे गए और घायल हुए लोगों की आधिकारिक संख्या साझा नहीं की है। हालांकि, समाचार पत्रों के आंकड़ों के अनुसार, इस हिंसा में अब तक कम से कम 135 लोग मारे गए हैं। इस भयावह स्थिति ने बांग्लादेश के समाज और राजनीति को हिलाकर रख दिया है। बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है। यह फैसला योग्यता और पारदर्शिता को प्राथमिकता देता है, जो कि किसी भी समाज की प्रगति के लिए आवश्यक है। हालांकि, इसे लागू करने का तरीका और समय सवालों के घेरे में है।

वर्तमान स्थिति को देखते हुए, सरकार को चाहिए कि वह जनता के साथ संवाद स्थापित करे और उनकी चिंताओं को समझे। हिंसक प्रदर्शनों को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाना चाहिए, ताकि कोई और जान-माल का नुकसान न हो। इस फैसले का स्वागत करने के बजाय, सरकार को इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहिए कि वह कैसे अपने देश के युवाओं के भविष्य को संवार सकती है। बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सरकार और जनता के बीच एक नए संवाद की शुरुआत कर सकता है।

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