Bangladesh Crisis: ‘हमें भारत आने दो’ पानी में खड़े होकर बांग्लादेशी हिंदुओं की अपील, सीमा सुरक्षा को लेकर BSF अलर्ट

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Bangladeshi Hindus

Bangladeshis on Indian Border: बांग्लादेश में हिंसा और अशांति के बीच बांग्लादेशी हिंदू परिवारों की यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। बांग्लादेश (Bangladesh) में फैली अशांति और हिंसा के कारण हजारों की संख्या में बांग्लादेशी हिंदू बंगाल के कूचबिहार के सितालकुची में बॉर्डर के नजदीक मौजूद हैं। यह सभी लोग बीएसएफ (BSF) जवानों से अनुरोध कर रहे है कि उन्हें भारत में प्रवेश करने का मौका दिया जाए। हालांकि, सीमा सुरक्षा को लेकर बीएसएफ पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। बांग्लादेश में नई सरकार बनने के बावजूद वहां हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदर्शनकारी अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बना रहे हैं, जिसके चलते कई हिंदू परिवार अपने घर छोड़कर भारत (INDIA) आने की कोशिश कर रहे हैं। बंगाल के उत्तर 24 परगना में पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश से लोगों का आना जारी है।

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बीएसएफ से मिन्नतें कर रहे हजारों बांग्लादेशी हिंदू

बंगाल के कूचबिहार के सितालकुची में करीब 1000 बांग्लादेशी जलाशय में खड़े होकर बीएसएफ से अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें भारत में प्रवेश की इजाजत दी जाए। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गया है, खासकर हिंदू अपने घर-बार छोड़कर भारत में शरण की गुहार लगा रहे हैं। हजारों हिंदू नदी, नालों और झाड़ियों को पार करके भारत में आने की फिराक में हैं।

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सीमा पर सुरक्षा की चुनौती

बीएसएफ के अधिकारियों का कहना है कि अब तक भारत में घुसने की कोशिश करने वालों का यह सबसे बड़ा ग्रुप है। बीएसएफ कर्मियों ने इन लोगों को सीमा के जीरो पॉइंट (नो मैन्स लैंड) से 150 गज की दूरी पर बाड़ पार करने से रोक दिया। बीएसएफ जवानों की कई बार की गई अपील के बावजूद ये लोग बांग्लादेश के रंगपुर जिले के दोई खावा और गेंदुगुरी गांवों में अपने घरों को लौटने के लिए तैयार नहीं थे। बीएसएफ की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, “यह उभरती चुनौती बीएसएफ के लिए नई है।” बंगाल के उत्तर 24 परगना के पेट्रापोल में पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश से लोगों का आना जारी है। बांग्लादेश में हिंसा की घटनाओं ने भारत सरकार की चिंता बढ़ा दी है।

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हताशा और उम्मीद के बीच फंसे बांग्लादेशी हिंदू

कूचबिहार के काशियार बरुनी इलाके के पठानटुली गांव में सीमा पार करने की कोशिश कर रहे लोगों में इतनी हताशा थी कि वे बाड़ के पार जलाशय में घंटों इंतजार करते रहे। कुछ लोग ‘जय श्री राम’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे। सरकार ने सीमा पर नजर रखने के लिए एक समिति का गठन किया है। सीमा सुरक्षा बल के पूर्वी कमान के एडीजी को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।

भारत के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। भारत को अपनी सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, वहीं मानवीय दृष्टिकोण से भी इन शरणार्थियों की स्थिति पर ध्यान देना भी आवश्यक है। सरकार को एक संतुलित और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाते हुए इन मामलों का निपटारा करना होगा। भारत अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध खड़ा हुआ है ताकि वहां के नागरिकों को सुरक्षा और न्याय मिल सके।

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