Lucknow के 1000 साल पुराने मनकामेश्वर मंदिर में बाहरी प्रसाद पर लगा बैन, तिरुपति विवाद के बाद बदले प्रसाद चढ़ाने के नियम

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Ban on outside prasad

Mankameshwar Temple: तिरुपति बालाजी लड्डू विवाद का असर अब देशभर के मंदिरों पर पड़ रहा है। तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डुओं में जानवर की चर्बी मिलने की खबर ने पूरे देश में खलबली मचा दी है। इसके बाद देशभर के मंदिरों में प्रसाद को लेकर सतर्कता बढ़ गई है। इसी कड़ी में लखनऊ के 1000 साल पुराने प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर (Mankameshwar Temple) ने प्रसाद चढ़ाने के नियमों में बदलाव किया है। मंदिर प्रशासन ने अब बाहर से लाए गए प्रसाद को मंदिर में चढ़ाने पर रोक लगा दी है। इस नए नियम के तहत भक्त केवल घर पर बने प्रसाद या सूखे मेवे ही गर्भगृह में चढ़ा सकते हैं।

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मनकामेश्वर मंदिर के महंत का अहम फैसला

मनकामेश्वर मंदिर के महंत दिव्यागिरि ने इस महत्वपूर्ण फैसले की घोषणा करते हुए एक पत्र जारी किया, जिसमें कहा गया है कि भक्त अब केवल घर का बना हुआ प्रसाद ही चढ़ा सकेंगे। महंत दिव्यागिरि ने स्पष्ट किया है कि बाहर से खरीदा गया कोई भी प्रसाद, चाहे वह मिठाई हो या लड्डू, गर्भगृह में स्वीकार नहीं किया जाएगा। भक्तों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने घरों में बना हुआ प्रसाद या फिर सूखे मेवे लाकर ही पूजा के लिए अर्पित करें। इसके आलावा कोई भी प्रसाद स्वीकार्य नहीं होगा।

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आज से लागू हुआ नया नियम

यह नया नियम 23 सितंबर, सोमवार से लागू हो गया है। महंत दिव्यागिरि ने भक्तों से आग्रह किया है कि वे इस नए नियम का पालन करें और मंदिर की शुद्धता बनाए रखें। उनका कहना है कि यह निर्णय भक्तों की धार्मिक आस्था और मंदिर की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इस निर्णय के बाद मंदिर आने वाले भक्तों में एक नई चेतना जागृत होने की उम्मीद की जा रही है।

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मनकामेश्वर मंदिर का ऐतिहासिक महत्व

लखनऊ के डालीगंज इलाके में स्थित मनकामेश्वर मंदिर शिव-पार्वती का एक पवित्र स्थल है, जिसे 1000 साल पुराना माना जाता है। यह मंदिर गोमती नदी के किनारे स्थित है और इसके बारे में मान्यता है कि जब माता सीता को वनवास के लिए भेजा गया था, तब लखनपुर के राजा लक्ष्मण ने यहां भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की थी। उनके द्वारा की गई अराधना के फलस्वरूप यहां मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना हुई।

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां आकर जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव से प्रार्थना करते हैं, उनकी हर मुराद पूरी होती है। मंदिर के गर्भगृह में एक काले रंग का शिवलिंग स्थापित है, जिस पर चांदी का छत्र विराजमान है। साथ ही, मंदिर के फर्श पर चांदी के सिक्के लगे होने के कारण यह मंदिर और भी भव्य दिखाई देता है।

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श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है दर्शन के लिए

लखनऊ के इस प्रसिद्ध मंदिर में हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। विशेष रूप से सावन के महीने में यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है। दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर हर दिन सुबह 5 बजे खुलता है, और यहां पर अलग-अलग दिनों के अनुसार विशेष पूजा और आरती का आयोजन होता है।

यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष राहत की बात यह है कि मंदिर में प्रवेश के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता। भक्त बिना किसी शुल्क के भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।

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प्रसाद पर नए नियम के पीछे की सोच

मनकामेश्वर मंदिर के महंत दिव्यागिरि का कहना है कि प्रसाद को लेकर सख्ती इसलिए जरूरी हो गई है, ताकि बाहर से आने वाले प्रसाद की गुणवत्ता पर कोई सवाल न उठ सके। हाल के समय में कई मंदिरों में प्रसाद की शुद्धता पर सवाल खड़े हुए हैं, विशेष रूप से तिरुपति बालाजी लड्डू विवाद के बाद। इस विवाद ने देशभर के धार्मिक स्थलों को अपने प्रसाद वितरण की प्रक्रिया पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है।

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भक्तों से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया

महंत दिव्यागिरि द्वारा लिए गए इस फैसले को भक्तों से काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। भक्तों का मानना है कि इससे मंदिर की पवित्रता बनी रहेगी और किसी भी तरह की अनियमितता से बचा जा सकेगा। श्रद्धालुओं ने भी इस फैसले को मंदिर की मर्यादा और धार्मिकता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।

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